मुंबई : देश की बहुराष्ट्रीय कंपनी लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) द्वारा निर्मित क्रायोस्टैट बेस को फ्रांस स्थित दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु संलयन परियोजना में स्थापित किया गया है. परमाणु इंजीनियरिंग की दुनिया में कंपनी की यह एक बड़ी उपलब्धि है.
कंपनी की हैवी इंजीनियरिंग इकाई ने मंगलवार को बताया कि 1,250 टन वजनी क्रायोस्टैट बेस (आधार) को हाल ही में सफलतापूर्वक ले जाया गया और फ्रांस की रिएक्टर बिल्डिंग में स्थापित किया गया. यह क्रायोस्टैट बेस परमाणु संलयन संयत्र का सबसे बड़ा एकल भाग है.
क्रायोस्टैट के अलग-अलग भाग कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान फ्रांस पहुंचाए गए ताकि वहां उनको जोड़ा जा सके. क्रायोस्टैट रिएक्टर वैक्यूम पोत और चुंबक के आसपास एक वैक्यूम-टाइट कंटेनर बनाता है और यह एक बहुत बड़े रेफ्रिजरेटर के रूप में कार्य करता है ताकि रिएक्टर के तापमान को संतुलित रखा जा सके.
यह रिएक्टर बेस क्रायोस्टैट एक उच्च वैक्यूम दबाव कक्ष है और स्टेनलेस स्टील निर्मित दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे भारी टोकामैक घटक है. यह रिएक्टर के बाकी हिस्से को संतुलित रखेगा.
भारत उन सात शीर्ष देशों में शामिल है, जो फ्रांस के कैडरेच में 20 अरब डॉलर की लागत से संचालित अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER) कार्यक्रम को फंडिंग कर रहे हैं. यह दुनिया की सबसे बड़ी शोध परियोजना में से एक है, जो फ्यूजन शक्ति के वैज्ञानिक और तकनीकी व्यवहार्यता का प्रदर्शन करना चाहती है.