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'विश्वास' के टूटने का दर्द: 'नाम नहीं लूंगा' कहकर केजरीवाल पर खूब बरसे कुमार विश्वास

अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास आंदोलन जो कभी साथ थे वे अब सियासी राहों में जुदा हो गए. कई दिनों बाद भी गाहे-बगाहे कुमार विश्वास का दर्द छलक ही जाता है. पढ़ें पूरा विवरण....

कुमार विश्वास और अरविंद केजरीवाल आंदोलन

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Published : Oct 6, 2019, 1:13 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में पिंक एंड ब्लू फाउंडेशन ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया. बता दें कि ये कार्यक्रम शहीदों की विधवाओं और सैनिकों की पत्नियों के नाम था. इसी कार्यक्रम में कुमार विश्वास कविता पढ़ने आए थे, लेकिन सैनिकों को नमन से पहले कुमार की कविताओं में विश्वास टूटने का दर्द खूब छलका और निशाने पर रहे केजरीवाल.

सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम

कविता के जरिए निशाना साधा
कुमार विश्वास ने शुरुआत करते ही कहा कि मुझसे काफी लोग कहते हैं कि आप इशारे में ही बात करते हो, नाम क्यों नहीं लेते, मैं आज भी नाम नहीं लूंगा, लेकिन दिल्ली वालों से बेहतर कौन समझेगा कि मैं किसके बारे में बोल रहा हूं और इसके बाद कुमार विश्वास ने कविता पढ़ी- 'पराए आंसुओं से आंख को नम कर रहा हूं मैं...'

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कुमार विश्वास ने यह भी कहा कि सरस्वती हर वाणी को सिद्ध करती हैं और आज सिरीफोर्ट से मैं यह बात कह रहा हूं, जिसे आगामी कुछ महीने बाद सरस्वती सिद्ध करेंगीं और फिर कुमार विश्वास ने कविता पढ़ी-


'मुझे वो मारकर खुश हैं कि सारा राज उसपर है
यकीनन कल है मेरा आज बेशक आज उसपर है'

राम के राज्याभिषेक का जिक्र करते हुए केजरीवाल का नाम लिए बिना कुमार विश्वास ने कहा कि अगर सिरीफोर्ट के बाहर यहां की ध्वनि जाती हो, तो यह बात उस व्यक्ति तक भी पहुंचे और उसे पता चले कि राम के राज्याभिषेक में राम द्वारा आमंत्रित एकमात्र व्यक्ति था केवट, जिसने उन्हें गंगा पार कराई थी, हमने भी तो उन्हें यमुना पार कराई है.

सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम

भाजपा और कांग्रेस पर कसा तंज
अपने चिर परिचित अंदाज में कविता के जरिए भाजपा और कांग्रेस पर भी तंज कसते हुए कुमार विश्वास ने कहा ये तो पराए हैं और इन पर मैंने एक-एक लाइन पढ़ी, फिर अपने वाले पर तो दो लाइन बनती ही है और फिर बोले-


जिसमें धूल कर नजर भी ना पावन बने
आंख में ऐसे पानी का क्या फायदा. इसके बाद कहा कि ये वो हैं कि जिनको जीरो कहा था, उन्हीं के चरणों में गिर पड़े.

कपिल मिश्रा थे मौजूद
इस कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी के बागी विधायक रहे कपिल मिश्रा भी मौजूद थे. उन्हें और एक अन्य बागी विधायक अनिल वाजपेयी को संबोधित करते हुए कुमार विश्वास ने कहा सुनो अनिल वाजपेयी और कपिल मिश्रा, फिर कविता पढ़ी-


'व्यर्थ किस्मत पर रोने से क्या फायदा
सोच लेना कि हम तुम मिले ही नहीं.'

2 साल पहले शुरू हुई थी खटपट
गौरतलब है कि करीब 2 साल पहले अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास के बीच खटपट शुरू हुई थी और जनवरी 2018 में राज्यसभा नहीं भेजे जाने के बाद कुमार विश्वास ने पूरी तरह से बागी रुख अख्तियार कर लिया. उसके बाद से गाहे-बगाहे हर मौके पर वे अपनी कविता के माध्यम से ही अरविंद केजरीवाल को आड़े हाथों लेते रहते हैं.


शनिवार को भी कुछ ऐसा ही मौका था और यह इसलिए भी खास था, क्योंकि कुमार विश्वास दिल्ली में बोल रहे थे और उस मंच से बोल रहे थे जहां भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी भी मौजूद थे और सामने बैठे थे भाजपा के ही दिल्ली प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू. चंद महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी कुमार विश्वास का केजरीवाल पर यह हमला महत्वपूर्ण माना जा सकता है.

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