नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) संशोधन अधिनियम 2018 की संवैधानिक वैधता को सोमवार को बरकरार रखा है. कोर्ट के इस फैसले का राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि आरक्षण को जारी रखा जाना चाहिए क्योंकि इन समुदायों को अतिरिक्त सुरक्षा और प्रोत्साहन की जरूरत है.
केटीएस तुलसी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा, 'मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं क्योंकि इसका उद्देश्य पिछड़े वर्ग के लोगों को अन्य वर्ग के लोगों के साथ लाना है. इसके लिए पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा और प्रोत्साहन की आवश्यकता है. पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए हमारे संविधान में कई प्रावधान हैं, बावजूद इसके आज भी उनकी स्थिति भयावह है.'
बेंच के एक सदस्य न्यायमूर्ति रवींद्र भट ने सहमति वाले एक निर्णय में कहा कि प्रत्येक नागरिक को सह नागरिकों के साथ समान बर्ताव करना होगा और बंधुत्व की अवधारणा को प्रोत्साहित करना होगा.
न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि प्रथमदृष्टया एससी/एसटी अधिनियम के तहत कोई मामला नहीं बनता तो कोई अदालत प्राथमिकी को रद कर सकती है. उच्चतम न्यायालय का यह फैसला एससी/एसटी संशोधन अधिनियम 2018 को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर आया है. ये याचिकाएं न्यायालय के 2018 के फैसले को निरस्त करने के लिए दाखिल की गई थीं.
तुलसी ने इस मामले पर कहा कि यह कानून मानवीयता और अखंडता से संबंधित है. इसीलिए यह कानून बनाया गया है. इस कानून के तहत जांच प्रक्रिया के दौरान अपराधी को जमानत नहीं दी जाती क्योंकि इससे पीड़ित व्यक्ति दबाव में आ सकता है.