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बजट 2020 : बैंक डूबने पर भी सेफ रहेगी 5 लाख तक की रकम

बजट 2020-21 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चार गुना बीमा कवर देने का एलान किया है. इस एलान के बाद अब जमाकर्ताओं को एक लाख की जगह पांच लाख रुपये बीमा कवर के रूप में दिया जाएगा. इसका अर्थ ये हुआ कि अगर बैंक डूब गया, तो पांच लाख तक की रकम मिल जाएगी.

निर्मला सीतारमण
निर्मला सीतारमण

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Published : Feb 1, 2020, 5:49 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 7:17 PM IST

नई दिल्ली : बजट 2020-21 में आम आदमी के लिए एक बड़ी राहत की बात यह रही कि जो लोग बैंकों में अपनी बचत को रखने में विश्वास रखते हैं, उन्हें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चार गुना बीमा कवर देने का एलान किया है. उन्होंने बैंक जमाकर्ताओं के लिए उपलब्ध बीमा कवर को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है.

अभी तक एक लाख रुपये तक के ही बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा कवर किए गए थे, जो अपर्याप्त माना जाता है.

बजट में , बैंकों के डिफॉल्टर हो जाने पर साधारण बैंक जमाकर्ताओं ने बीमा कवर को एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का अनुरोध किया था.

पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक जैसे बैंकों की डिफॉल्टर हो जाने के बाद पिछले साल सामान्य जमाकर्ताओं के बीच अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के साथ उनकी बचत की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी.

बता दें कि पिछले साल सितंबर में, बैंकिंग क्षेत्र के अनियमतता के कारण भारतीय रिजर्व बैंक ने पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक के संचालन पर प्रतिबंध लगाया था.

इसके तहत जमाकर्ताओं को एक दिन में दस हजार रुपये से अधिक निकालने पर प्रतिबंधित लगा दिया गया था, लेकिन बाद में यह सीमा बढ़ा दी गई थी. इसके कारण बैंक के जमाकर्ताओं को अत्यधिक नुकसान पहुंचा, क्योंकि सैकड़ों लोगों ने अपनी बचत गंवा दी. इन प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप बैंक के कई जमाकर्ताओं की मृत्यु हो गई थी.

पढ़ें- बजट 2020-21 : गांव, गरीब, किसान और रोजगार पर रहा फोकस

बीमा जमा कवर क्या है?

दरअसल,1961 में, सरकार ने बैंक जमाकर्ताओं को बीमा कवर प्रदान करने के लिए जमा बीमा निगम विधेयक पारित किया. इससे पहले यह केवल वाणिज्यिक बैंकों के कामकाज पर लागू था.
इसके बाद RBI ने 1960 में क्रेडिट गारंटी स्कीम भी शुरू की , बाद में इन दोनों को बैंक जमाकर्ताओं की बचत के हितों की रक्षा के लिए RBI के तहत डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन की स्थापना के लिए 1978 में मिला दिया गया था.

DICGC विदेशी बैंकों और सभी राज्य, केंद्रीय और प्राथमिक सहकारी बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंकों के साथ बनी हुई है.

DICGC ने प्रत्येक बैंक में अलग-अलग बैंकों के प्रिंसिपल और ब्याज राशि को अलग-अलग बैंकों में 1 लाख रुपये, अब इस वर्ष के केंद्रीय बजट में यह सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है.

Last Updated : Feb 28, 2020, 7:17 PM IST

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