हैदराबाद : टीआरपी का अर्थ होता है टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट. इसके जरिए आपको यह पता चलता है कि किस टीवी चैनल को सबसे अधिक देखा जा रहा है और सबसे अधिक किस शो को पसंद किया जाता है. आप इसे कह सकते हैं कि यह टीवी चैनलों की लोकप्रियता के मापक हैं. विज्ञापन कंपनियां इसके आधार पर ही इन चैनलों को विज्ञापन जारी करती हैं. ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसल इंडिया (बीएआरसी) टीआरपी तय करती है. इसके पहले यह काम टीएएम करती थी. विवाद में आने के बाद टीएएम की जगह बीएआरसी इस कार्य को करती है.
दरअसल, टीआरपी एक अनुमानित आंकड़ा होता है. यह किसी भी एजेंसी के लिए संभव नहीं है कि वह करोड़ों टीवी यूजर्स के घरों में मशीन लगाकर यह जान सके कि वह कौन सा चैनल देख रहे हैं. इसलिए इसका एक सैंपल इकट्ठा किया जाता है. यानी कुछ घरों का चयन.
टीआरपी मापने वाली एजेंसी इन घरों में मशीन को लगा देते हैं. उनकी कोशिश होती है कि सैंपल सही ढंग से एकत्रित किया जाए. अलग-अलग आयु, अलग-अलग हिस्सों और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का ध्यान रखा जाता है. इस मशीन को पीपुल्स मीटर कहते हैं.
इसके जरिए यह पता चलता है कि अमुक परिवार ने एक दिन में कौन से चैनल और कितने देर तक वह देखते रहे. इसके बाद एजेंसी इन आंकड़ों का विश्लेषण करती है. इसका एक डेटाबेस तैयार किया जाता है.