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क्या है पीएफआई और क्यों है इस पर विवाद, जानें

उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस कांड के बाद वहां पर दंगा कराने की साजिश रचने के आरोप में चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस के अनुसार इनमें पीएफआई के भी सदस्य शामिल हैं. आरोप है कि पीएफआई ने विदेशों से पैसे लेकर प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की. इससे पहले सीएए के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलनों के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप पीएफआई पर लग चुका है. जानें विस्तार से पीएफआई के बारे में.

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Published : Oct 7, 2020, 4:41 PM IST

PFI links in Hathras case
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया

हैदराबाद : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चले विरोध प्रदर्शन के दौरान चर्चा में आने के बाद एक बार फिर से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का नाम सुर्खियों में है. इस बार हाथरस मामला में संगठन का नाम उछला है. आरोप है कि पीएफआई हाथरस मामले के बाद प्रदेश में बड़े पैमाने पर सामाजिक सौहार्द्र को बिगाड़ने की साजिश रच रहा था. उसके कुछ सदस्यों को गिरफ्तार भी किया गया है. हालांकि, पीएफआई ने इससे इनकार किया है. आइए जानते हैं आखिर पीएफआई क्या है.

कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी (केएफडी), नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) और मनिथा नीथी पासराई (एमएनपी) ने 2006 में पीएफआई का गठन केरल में किया. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या पीएफआई एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है. यह अपने को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है. संगठन की जड़ें केरल के कालीकट से फैलनी शुरू हुई. इसे एनडीएफ संगठन का उत्तराधिकारी माना जाता है.

पीएफआई का विजन

पीएफआई का कहना है कि दलित, आदिवासी, धार्मिक, भाषा और सांस्कृतिक अल्पसंख्यक पिछड़े वर्गों और महिलाओं को उनके सांस्कृतिक और सामाजिक स्थान से वंचित कर दिया जाता है, जिससे भारत सबसे अलग हो गया है.

क्या पीएफआई इस्लामिक स्टेट से जुड़ा है

केरल पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कम से कम 10 व्यक्ति, जो पीएफआई से जुड़े हुए थे, सीरिया लड़ने गए. पीएफआई ने माना कि ये लोग उनके संगठन का हिस्सा थे. हालांकि, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने पार्टी छोड़ दी है.

पीएफआई का गठन कैसे किया गया था ?

नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट NDF की गतिविधियां केरल तक सीमित थी. लेकिन धीरे-धीरे संगठन ने अपना पैर पसारना शुरू कर दिया. एक एकीकृत संगठन बनाने के लिए समान विचारधारा वाले कई संगठनों का विलय किया गया. केएफडी, एनडीएफ और एमएनपी के विलय के बाद गोवा के नागरिक मंच, राजस्थान के कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी, पश्चिम बंगाल की नागरिक आदर्श सुरक्षा समिति, मणिपुर के लिलोंग सोशल फोरम और आंध्र प्रदेश एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस का भी इसमें विलय कर दिया गया.

बैन लगाने पर प्रस्ताव

1 जनवरी 2020, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पीएफआई की भूमिका पर संदेह है. सीएए के खिलाफ चले आंदलोनों में इसका हाथ है. खासकर उत्तर प्रदेश में. झारखंड समेत कई राज्यों ने इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

पीएफआई का दावा है कि उसका 22 राज्यों में प्रसार हो चुका है.

सिमी के सदस्य पीएफआई में आए

आरोप है कि जब सिमी पर प्रतिबंध लगा, तो उसके सदस्य पीएफआई में चले आए.

क्या एसडीपीआई पीएफआई की राजनीतिक शाखा है

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी एसडीपाआई को पीएफआई की रानीतिक शाखा माना जाता है. हालांकि, एसडीपीआई इससे इनकार करती रही है.

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