हैदराबाद : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चले विरोध प्रदर्शन के दौरान चर्चा में आने के बाद एक बार फिर से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का नाम सुर्खियों में है. इस बार हाथरस मामला में संगठन का नाम उछला है. आरोप है कि पीएफआई हाथरस मामले के बाद प्रदेश में बड़े पैमाने पर सामाजिक सौहार्द्र को बिगाड़ने की साजिश रच रहा था. उसके कुछ सदस्यों को गिरफ्तार भी किया गया है. हालांकि, पीएफआई ने इससे इनकार किया है. आइए जानते हैं आखिर पीएफआई क्या है.
कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी (केएफडी), नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) और मनिथा नीथी पासराई (एमएनपी) ने 2006 में पीएफआई का गठन केरल में किया. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या पीएफआई एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है. यह अपने को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है. संगठन की जड़ें केरल के कालीकट से फैलनी शुरू हुई. इसे एनडीएफ संगठन का उत्तराधिकारी माना जाता है.
पीएफआई का विजन
पीएफआई का कहना है कि दलित, आदिवासी, धार्मिक, भाषा और सांस्कृतिक अल्पसंख्यक पिछड़े वर्गों और महिलाओं को उनके सांस्कृतिक और सामाजिक स्थान से वंचित कर दिया जाता है, जिससे भारत सबसे अलग हो गया है.
क्या पीएफआई इस्लामिक स्टेट से जुड़ा है
केरल पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कम से कम 10 व्यक्ति, जो पीएफआई से जुड़े हुए थे, सीरिया लड़ने गए. पीएफआई ने माना कि ये लोग उनके संगठन का हिस्सा थे. हालांकि, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने पार्टी छोड़ दी है.
पीएफआई का गठन कैसे किया गया था ?