हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2003 में पहाड़ों के सतत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी.
दुनिया की लगभग 15% आबादी पहाड़ों में रहती है. पहाड़ केवल निवासियों के लिए ही नहीं, बल्कि तराई या लो लैंड्स में रहने वाले लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं. वे दुनिया की प्रमुख नदियों के स्रोत हैं.
दुर्भाग्य से, पहाड़ों को जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक दोहन से खतरा है. जैसे ही वैश्विक जलवायु और गर्म होने लगती है वैसे ही, पहाड़ों पर रहने वाले लोगों को अधिक संघर्षों का सामना करना पड़ता है. बढ़ते तापमान का मतलब यह भी है कि पहाड़ के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे लाखों लोगों के लिए पीने के पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है.
यह समस्या हम सभी को प्रभावित करती है. हमें अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करना चाहिए और इन प्राकृतिक खजानों की देखभाल करनी चाहिए. पहाड़ों के महत्व पर ध्यान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 2002 को पर्वत वर्ष घोषित किया जिसके बाद 2003 में पहली बार पहला अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाया गया.
2020 थीम : माउंटेन बायोडायवर्सिटी
अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस 2020 की थीम पर्वतीय जैव विविधता (माउंटेन बायोडायवर्सिटी) है. 'जैव विविधता सुपर ईयर' के साथ संरेखण और 2020 के बाद की जैव विविधता ढांचे की बातचीत में, दिवस पर्वतीय जैव विविधता का जश्न मनाएगा और इसके खतरों का सामना करने की समझ बढ़ाने की कोशिश करेगा.
पहाड़ तब बनते हैं जब पृथ्वी की टेक्टॉनिक चट्टानें एक दूसरे से टकराती या सिकुड़ती हैं, जिससे पृथ्वी की सतह में मोड़ के कारण उभार आ जाता है.
जैव विविधता में पारिस्थितिकी तंत्र, प्रजाति और आनुवंशिक संसाधनों की विविधता शामिल है, और पहाड़ों में कई स्थानिक किस्में हैं. पहाड़ों की ऊंचाई, ढलान और जोखिम विभिन्न प्रकार की फसलों, बागवानी, पशुधन और वन प्रजातियों को विकसित करने के अवसर प्रदान करती है.
लगभग 70% पहाड़ी भूमि का उपयोग चराई के लिए किया जाता है. पहाड़ों से खाद मिलती है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है. पशुधन न केवल दूध, मक्खन और मांस जैसे खाद्य पदार्थों का उत्पादन करते हैं, बल्कि मूल्यवान उत्पाद जैसे- कश्मीरी ऊन भी उत्पादित होता है.
जलवायु परिवर्तन, सतत खेती के तरीके, वाणिज्यिक खनन, लॉगिंग और अवैध शिकार से पहाड़ की जैव विविधता पर भारी असर पड़ता है. इसके अलावा, भूमि उपयोग, प्राकृतिक आपदाओं से भी जैव विविधता में तेजी से हानि होती हैं. इससे पर्वतों पर रहने वाले समुदायों के लिए नाजुक वातावरण बन जाता है. पारिस्थितिक तंत्र (ईकोसिस्टम) में गिरावट, आजीविका का नुकसान और पहाड़ों में प्रवास से सांस्कृतिक प्रथाओं और प्राचीन परंपराओं का परित्याग हो सकता है, जो पीढ़ियों से जैव विविधता को बनाए रखे हैं.
पृष्ठभूमि
अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस का गठन 1992 में तब हुआ जब एजेंडा 21 के अध्याय 13 के मेनेजिंग फ्रेजाइल इकोसिस्टम सस्टेनेबल डेवलपमेंट (Managing Fragile Ecosystems: Sustainable Mountain Development) को पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में अपनाया गया. इसने पहाड़ों के विकास के इतिहास को एक नया रूप दिया. पहाड़ के महत्व की ओर ध्यान देते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2002 को संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय पर्वत वर्ष घोषित किया और 11 दिसंबर को 2003 से अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस के रूप में नामित किया.
2002 में पर्वत वर्ष आयोजित किया गया था और इसका उद्देश्य सतत पर्वत विकास से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना और कार्रवाई शुरू करना था. प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस का एक विशेष विषय (थीम) होता है. पिछले विषय पीने के पानी, शांति, जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित थे.
पर्वत पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 27 प्रतिशत भाग कवर करते हैं और सतत आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
लोगो (चिन्ह)
अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस के चिन्ह में तीन समबाहु त्रिभुज होते हैं. यह त्रिभुज मुख्य रूप से काले होते हैं और पहाड़ों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
बाईं ओर के त्रिभुज में शीर्ष पर एक नीला हीरे का आकार होता है, जो एक पहाड़ के शीर्ष पर बर्फ का प्रतिनिधित्व करता है. मध्य त्रिभुज के बीच में एक नारंगी गोलाकार आकृति है, जो उन संसाधनों का प्रतिनिधित्व करता है जिनका पहाड़ों के अंदर से खनन किया जाता है. दाईं ओर के त्रिभुज के निचले दाएं छोर पर एक छोटा हरा त्रिभुज बना हुआ है, यह पहाड़ों पर उगने वाली फसलों का प्रतिनिधित्व करता है.
तीनों त्रिकोणों के नीचे एक काली पट्टी होती है जिसमें '11 दिसंबर' और 'संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस' नीले रंग से लिखा होता है. अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस का लोगो अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस (2002) के प्रतीक पर आधारित है.