हैदराबाद : दो दिसंबर 2009 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 64वें सत्र में सर्वसहमति से परमाणु हथियारों के उपयोग पर रोक लगाने के लिए एक प्रस्ताव स्वीकार किया गया. इसके बाद 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया.
- यह परमाणु हथियार परीक्षण विस्फोटों या किसी अन्य परमाणु विस्फोटों के प्रभावों और परमाणु हथियार मुक्त दुनिया के लक्ष्य को प्राप्त करने के साधनों में से एक के रूप में उनकी समाप्ति की आवश्यकता के बारे में जागरूकता और शिक्षा का विस्तार करने के लिए मनाया जाता है.
कजाखिस्तान द्वारा सेमीपलातिन्स्क में 29 अगस्त, 1991 को परमाणु परीक्षण किया गया. इस परमाणु परीक्षण के खिलाफ यह प्रस्ताव लाया गया था. बाद में सेमीपलातिन्स्क न्यूक्लियर टेस्ट साइट को बंद कर दिया गया था.
यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों, अंतर सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों और मीडिया को सूचित, शिक्षित और परमाणु हथियार परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पर बल देता है.
कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सरकारी स्तर के प्रयासों के साथ-साथ लोगों के व्यापक आंदोलनों ने परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने के महत्व पर प्रकाश डाला.
- 2010 में परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस की शुरुआत की गई. प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर विभिन्न सभाएं, सम्मेलन, प्रदर्शनियां एवं प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती हैं.
इसके अलावा यह आश्वस्त किया गया कि परमाणु हथियारों के उपयोग या इसके खतरे से बचने का एकमात्र उपाय परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु हथियारों पर पूर्ण प्रतिबंध है. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 26 सितंबर को 'परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के लिए अंतररा ष्ट्रीय दिवस' के रूप में घोषित किया. यह दिन परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के उद्देश्य को अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है.
- सितंबर 2014 में पहली बार परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया.
1996 की व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी (सीटीबीटी)) परमाणु परीक्षण को पूर्ण रूप से समाप्त करने का एकमात्र साधन है, लेकिन दुर्भाग्य से यह अभी तक लागू नहीं हुआ है.
परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि
- परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि से परमाणु परीक्षणों को आसानी से प्रतिबंधित किया जा सकता है. इसे 10 सितंबर 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था. अब तक 184 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और 168 देशों ने इसकी पुष्टि की है.
- संधि को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण परमाणु क्षमताओं वाले राज्यों को भी इसकी पुष्टि करना होगी. बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
- हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आम सहमति यह है कि परमाणु हथियार परीक्षण जीवन-जोखिम वाले जोखिम पैदा करता है, फिर भी कुछ हद तक परमाणु हथियारों का परीक्षण होना चाहिए क्योंकि अगर परमाणु हथियारों का परीक्षण नहीं किया जाता है तो उनकी विश्वसनीयता और क्षमता की सही जानकारी नहीं मिलेगी. इससे अन्य खतरे भी बढ़ सकते हैं.
- परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस पर की जाने वाली गतिविधियां और घटनाएं परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को लागू करने के लिए दबाव बना रही हैं.
- कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन की अंतरराष्ट्रीय निगरानी प्रणाली, यह विश्वास दिलाती है कि कोई भी परमाणु विस्फोट नहीं होगा.
- हालांकि परमाणु युद्ध या परमाणु आतंकवादी खतरे से बचने में परमाणु हथियारों पर पूर्ण प्रतिबंध के अलावा कुछ भी महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा सकता है.
- परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध, परमाणु हथियारों के उत्पादन को अपने आप ही प्रतिबंधित कर देगा.
ग्लोबल न्यूक्लियर वारहेड आर्सेल्स -2020
देश | पहला परमाणु परीक्षण | कुल परमाणु हथियार | कुल परमाणु परीक्षण |
अमेरिका | जुलाई 1945 | 5,800 | 1,030 |
रूस | अगस्त 1949 | 6,375 | 715 |
यूनाइटेड किंगडम | अक्टूबर 1962 | 215 | 45 |
फ्रांस | फरवरी 1960 | 290 | 210 |
चीन | अक्टूबर 1964 | 320 | 45 |
भारत | मई 1974 | 150 | 3 |
पाकिस्तान | मई 1998 | 160 | 3 |
उत्तर कोरिया | अक्टूबर 2006 | 30-40 | 6 |
इजराइल | --- | 90 | --- |
परमाणु अप्रसार के लिए उठाए गए कदम
1957 : परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और निगरानी करने के लिए इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी बनाई गई थी.