देहरादून :देश की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी की गुरुवार को 35वीं पुण्यतिथि मनायी गयी. 1984 में आज के ही दिन निजी सुरक्षाकर्मियों - बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने 28 राउंड फायर कर तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी.
'आयरन लेडी' के नाम से लोकप्रिय इंदिरा जी की पुण्यतिथि पर ईटीवी भारत आपकी मुलाकात देहरादून के रहने वाले एक ऐसे बुक सेलर से कराने जा रहा है. जो इंदिरा गांधी से कई बार मिल चुके हैं.
हम बात कर रहे हैं राजपुर रोड स्थित नटराज बुक शॉप की, जिसके मालिक उपेंद्र अरोड़ा कई बार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिले थे. आज भी उनके पास इंदिरा गांधी की ओर से लिखे गये कई पत्र हैं. अरोड़ा के पास एक ऐसा पत्र है, जो इंदिरा जी ने अपनी मृत्यु से महज 10 दिन पहले ही उन्हें भेजा था.
उपेंद्र अरोड़ा ने इंदिरा गांधी से जुड़ी कई यादें साझा कीं. वह बताते हैं कि इंदिरा गांधी को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था. यही कारण रहा कि एक दिन वह अचानक अपने दोनों पुत्रों - राजीव और संजय गांधी के साथ उनकी दुकान पर आ पहुंची, यह बात साल 1967-68 की है.
उपेंद्र बताते हैं कि इंदिरा गांधी बेहद ही सरल स्वभाव की महिला थीं. उनके व्यवहार में एक अपनापन झलकता था. यह उनका अपनापन ही था कि जब कभी भी वह देहरादून आती, हमेशा उनकी दुकान से पर्यावरण और वन्य जीवों से जुड़ी किताबें खरीदा करती थीं. वह भी अक्सर उनके दिल्ली स्थित आवास पर कुछ किताबें भिजवाया करते थे. उसके बाद इंदिरा जी खुद पत्र भेजकर उनका धन्यवाद अदा करती थी. यह पत्र आज भी उन्होंने अपने पास एक याद के तौर पर संजोए रखे हैं.
बहरहाल, इंदिरा गांधी भले ही आज हमारे बीच न हो, लेकिन उनका व्यक्तिव हमेशा आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बनकर रहेगा.
..जब 1982 का गढ़वाल लोस उपचुनाव इंदिरा बनाम पहाड़ बन गया था
वहीं संसदीय चुनाव के इतिहास में गढ़वाल लोकसभा सीट 1982 में दुनिया की नजरों का केंद्र बन गई थी. इस चुनाव में सत्ता का दुरुपयोग भी देखा गया तो मतदाता की ताकत का एहसास भी गढ़वाल सीट ने दुनिया को कराया था.
वर्ष 1980 में लोकसभा चुनाव संपन्न हुए थे. केंद्रीय मंत्रिमंडल का गठन हुआ था, लेकिन इससे पहले ही पीएम इंदिरा गांधी व गढ़वाल सांसद हेमवती नंदन बहुगुणा के बीच खटपट शुरू हो गई थी. उस दौरान बहुगुणा ने इंदिरा गांधी से नाराजगी के चलते कांग्रेस पार्टी व संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.