हैदराबाद : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को आवश्यक वस्तु अधिनियम को संशोधित करने का एलान किया ताकि किसानों की आय को बढ़ाया जा सके. दरअसल, यह कानून 1955 में बनाया गया था. इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को अनिवार्य वस्तुओं की सहजता से उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ-साथ कपटी व्यापारियों के शोषण से उनकी रक्षा के लिए बनाया गया था.
इस अधिनियम में उन वस्तुओं के उत्पादन वितरण और मूल्य निर्धारण को विनियमित एवं नियंत्रित करने की व्यवस्था की गई है, जिनकी आपूर्ति बनाए रखने या बढ़ाने तथा उनका समान वितरण प्राप्त करने और उचित मूल्य पर उनकी उपलब्धता के लिए अनिवार्य घोषित किया गया है.
इसके तहत, केंद्र सरकार समय-समय पर सामान्य या विशेष आदेश द्वारा किसी भी निर्माता या आयातक या निर्यातक या मान्यता प्राप्त डीलर या उत्पादकों या मान्यता प्राप्त डीलरों के किसी भी वर्ग को निर्देशित कर सकती है.
आवश्यक वस्तु अधिनियम
आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत यह आपूर्ति को बदल सकता है. यह लाइसेंस, परमिट या उत्पादन या निर्माण, भंडारण, निपटान, अधिग्रहण, किसी भी आवश्यक वस्तु की खपत को विनियमित करने के माध्यम से कर सकता है
आवश्यक वस्तु अधिनियम उस मूल्य को नियंत्रित करके विनियमन करता है, जिस पर कोई आवश्यक वस्तु खरीदी या बेची जा सकती है.
खाद्यान्न, खाद्य तिलहन या खाद्य तेलों के संबंध में, आवश्यक वस्तु अधिनियम उस क्षेत्र की उपज के आधार पर उत्पादकों द्वारा बेची जाने वाली मात्रा को ठीक कर सकता है.
आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 का उद्देश्य और उद्देश्य
1. देश में आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखना
2. सरकार (उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय) आवश्यक वस्तुओं की कीमत को स्थिर रखने की कोशिश करती है. केंद्र सरकार ऐसे सामानों के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य भी तय करती है. जैसा कि मास्क के मामले में, 2 प्लाई मास्क का अधिकतम खुदरा मूल्य 16 रुपये तय किया गया है.
3. आवश्यक वस्तुओं के अनावश्यक भंडारण को रोकना