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सुप्रीम कोर्ट पहुंची किरण बेदी, कहा- पुडुचेरी हाईकोर्ट के आदेश से भ्रम की स्थिति - Former IPS officer Kiran Bedi

पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की है. जानें क्या है पूरा मामला

पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी

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Published : May 28, 2019, 11:37 PM IST

नई दिल्ली: पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है. उन्होंने कहा है कि केन्द्र शासित प्रदेश में प्रशासनिक नियंत्रण का मसले उठाया है. बकौल किरण बेदी मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश की वजह से प्रदेश में नौकरशाही में भ्रम की स्थिति व्याप्त है.

किरण बेदी ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि पुडुचेरी के उपराज्यपाल 'केन्द्र शासित राज्य की निर्वाचित सरकार के रोजमर्रा के कामों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते.'

पढ़ें:किरण बेदी को मद्रास HC से झटका, 'केंद्रशासित राज्यों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं'

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई की जायेगी.

इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही बेदी के वकील ने पीठ से कहा, 'मद्रास उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद से केन्द्र शासित राज्य में नौकरशाही के कामकाज को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुयी है.'

शीर्ष अदालत ने केन्द्र और किरण बेदी की याचिकाओं पर 10 मई को कांग्रेस के विधायक के लक्ष्मीनारायणन से जवाब मांगा था.

लक्ष्मीनारायणन की याचिका पर ही उच्च न्यायालय ने 30 अप्रैल को फैसला सुनाया था. लक्ष्मीनारायणन ने अपनी याचिका में दावा किया था कि प्रशासक केन्द्र शासित राज्य की सरकार के रोजमर्रा के प्रशासन, उसकी नीतियों और कार्यक्रमों में हस्तक्षेप कर रही हैं.

केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुये कहा था कि इसकी वजह से शासकीय कार्य ठहर गया है.

उच्च न्यायालय ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय के जनवरी और जून, 2017 के पत्रों को निरस्त कर दिया था. इन पत्रों में ही प्रशासक के अधिकारों को ‘बढ़ा दिया’ गया था.

उच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच गतिरोध के मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का जिक्र करते हुये कहा था कि दिल्ली की सरकार पर लगायी गयी कुछ पाबंदियां पुडुचेरी की सरकार पर लागू नहीं होती हैं.

उच्च न्यायालय ने कहा था, 'प्रशासक सरकार के रोजमर्रा के कामों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री द्वारा लिये गये फैसले सचिवों और अन्य अधिकारियों पर बाध्यकारी हैं.'

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