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मशहूर संगीतकार मोहम्मद ज़हूर खय्याम ने दुनिया को कहा अलविदा - Music composer Zahur Khayyam No More

अपने दिलकश संगीत से लाखों लोगों का दिल जीतने वाले खय्याम आज हमेशा के लिए खामोश हो गए. वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. मुंबई के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया. उन्होंने करीब 40 साल तक बॉलीवुड में कई मशहूर संगीत रचानाएं की.

खय्याम की फाइल फोटो

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Published : Aug 19, 2019, 10:50 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 2:14 PM IST

मुंबई : मशहूर संगीत निर्देशक और म्यूजिक कंपोजर खय्याम का आज निधन हो गया. वे 92 साल के थे. खय्याम लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे और मुंबई के हॉस्पिटल में 8 अगस्त से एडमिट थे. सोमवार की शाम से ही उनकी हालत नाजुक हो गई थी और डॉक्टर्स उनकी निगरानी कर रहे थे, रात के करीब साढ़े 9 बजे खय्याम इस दुनिया से हमेशा के लिए रुख्सत हो गए. जैसे ही उनके निधन की खबर आई बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई.

खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद जहूर 'खय्याम' हाशमी था. उन्होंने 1953-1990 के दौरान लगभग चार दशकों तक म्यूजिक कंपोजर और निर्देशक के रुप में काम किया. 'कभी-कभी' फिल्म के लिए 1977 में खय्याम को फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था.

बीते 18 फरवरी, 2019 को खय्याम का 92वां जन्मदिन था. उन्होंने जन्मदिन न मना कर पुलवामा आतंकवादी हमले के शहीदों के परिवारों की सहायता के लिए 5 लाख रुपये का योगदान भी दिया था.

खय्याम ने संवाददाताओं से कहा था, 'पुलवामा में जो कुछ हुआ है, उससे मैं बहुत दुखी महसूस कर रहा हूं, इसलिए मुझे अपना जन्मदिन मनाने का मन नहीं हुआ. हमले में जिन्होंने अपने परिवार के सदस्य को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदना है.'

उन्होंने कहा था, 'मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार इन मुद्दों का हल निकालेगी. हमने प्रधानमंत्री राहत कोष में 500,000 रुपये दान करने का फैसला किया है और हम शहीदों के परिवारों का समर्थन करने के लिए अपने ट्रस्ट के माध्यम से अधिक धनराशि दान करने का प्रयास कर रहे हैं.'

खय्याम ने 'कभी कभी', 'उमराव जान', 'त्रिशूल', 'नूरी' और 'बाजार' जैसी सफल फिल्मों को संगीतबद्ध किया था.

पंजाब के राहों गांव में पैदा होने वाले खय्याम ने संगीतकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत 1953 में की थी. उसी साल आई उनकी फिल्म 'फिर सुबह होगी' से उन्हें बतौर संगीतकार पहचान मिली. गौरतलब है कि खय्याम को हमेशा से ही एक चूजी किस्म का संगीतकार माना जाता रहा है. चार दशक के करियर में उनकी पहचान बेहद कम मगर उम्दा किस्म का संगीत देने वाले संगीतकार के रूप में बनी.

2007 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड तो, वहीं 2011 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से नवाजा गया. 'फिर सुबह होगी' के अलावा जिन फिल्मों में उनके संगीत की काफी चर्चा हुई, उनमें कभी कभी,‌ उमराव जान, थोड़ी सी बेवफाई, बाजार, नूरी, दर्द, रजिया सुल्तान, पर्वत के उस पार, त्रिशूल जैसी‌ फिल्मों का नाम शुमार है.

Last Updated : Sep 27, 2019, 2:14 PM IST

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