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जानें, टेबलटॉप रनवे पर क्यों मुश्किल होती है लैंडिंग

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Published : Aug 8, 2020, 3:49 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 6:21 PM IST

केरल के कोझिकोड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की गिनती देश के टेबलटॉप रनवे में की जाती है. इस तरह के रनवे पर विमान उतारने वाले पायलटों को खास तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां पर सीमित जगह में ही विमान को उतारना होता है. स्पीड पर नियंत्रण नहीं लगा, तो कुछ भी हो सकता है. आइए जानते हैं क्या है टेबलटॉप रनवे और लैंडिंग के दौरान यहां पर क्या होती हैं चुनौतियां.

टेबलटॉप रनवे.
टेबलटॉप रनवे.

कोझिकोड : केरल विमान हादसे में अब तक 19 लोगों के मारे जाने की खबर है. केरल के कालीकट अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की गिनती देश के टेबलटॉप रनवे में की जाती है.

शुक्रवार की शाम को यह हादसा उस वक्त हुआ, जब वंदे भारत मिशन के तहत दुबई में फंसे भारतीयों को स्वदेश वापस लाया जा रहा था. बारिश के चलते रनवे पर यह विमान फिसल गया और 35 फुट नीचे खाई में जा गिरा. उसी वक्त विमान के दो टुकड़े हो गए.

घटना के बारे में जानकारी देते हुए नागरिक उड्डयन मंत्री ने बताया कि कोझिकोड एयरपोर्ट टेबलटॉप है.

एक विमान के लिए टेबल टॉप रनवे पर उतरने की चुनौती

टेबल रनवे क्या है

टेबलटॉप हवाई अड्डा वह है, जहां रनवे एक पहाड़ी की चोटी पर या दोनों ओर से एक खड़ी ऊंचाई से सटे हों. यहां लैंडिंग करने के लिए जगह बहुत कम होती है. हवाई अड्डे की अजीबोगरीब स्थलाकृति इसके रनवे को छोटा बनाती है.

टेबलटॉप रनवे पर उतरने में चुनौती

टेबलटॉप रनवे पर उतरते समय पायलट के सामने कई चुनौतियां आती हैं.

रनवे पर उतरने के लिए बहुत सटीक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. लेकिन यहां पर कई बार रेफरेंस प्वाइंट को लेकर भ्रम की स्थिति हो जाती है.

जैसे-जैसे पायलट लैंडिंग के करीब पहुंचता है, वैसे-वैसे उसका रेफरेंस बदला रहता है. पायलट को विमान लेंड कराने के लिए दृष्टिकोण अधिक या कम करने के लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है.

कोझिकोड रनवे पठार की तरह स्थित है.

लैंडिंग के अंतिम चरण के दौरान पायलट को पूरी तरह से स्वचालित मशीन के बजाय इंटरफेस पर अधिक भरोसा करना पड़ता है.

हवाई अड्डे की लंबाई विमान को संभालने के लिए पायलट की क्षमता को कम करती है.

डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) ने कोझीकोड हवाई अड्डे को नोटिस दिया.

जुलाई 2019 में डीजीसीए ने कोझिकोड हवाई अड्डे को एक नोटिस दिया था, जो सरकार द्वारा संचालित भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा संचालित किया गया था. एक ऑडिट के दौरान 'अत्यधिक रबर जमा' पर सुरक्षा चिंताओं का पता चला था. जो कई बार उच्च जोखिम भी पैदा करती है.

डीजीसीए की रिपोर्ट में रनवे पर दरार और पानी का ठहराव भी पाया गया था.

जिसके बाद नियामक भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को इसका जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया.

भारत में टेबलटॉप हवाई अड्डों की सूची...

  • मिजोरम में लेंगपुई हवाई अड्डा
  • सिक्किम में पाक्योंग एयरपोर्ट
  • हिमाचल प्रदेश में शिमला और कुल्लू को टेबलटॉप पर बनाया गया है
  • केरल का कोझीकोड
  • कर्नाटक का मंगलुरु

डीजीसीए ने लगाया व्यापक निकाय विमानों पर प्रतिबंध

वास्तव में, 2010 में मंगलुरु की घटना के तुरंत बाद, डीजीसीए ने कोझिकोड हवाई अड्डे पर लैंडिंग से बड़े विमान को प्रतिबंधित कर दिया था, जिसके कारण उनके उच्च पेलोड की दूरी को धीमा करने की आवश्यकता होती है.

कोझिकोड हवाई अड्डे पर हवाई दुर्घटनाएं.....

  • 7 .11. 2008 : सऊदी अरब के जेद्दा से उड़ान भरने वाली एअर इंडिया एयरबस 310 की उड़ान एआई 962 ने लैंडिंग के लिए रनवे पर अपने दाहिने विंग टिप को बिखेर दिया. प्लेन के विंग के कुछ हिस्से टूट गए, जिससे रनवे पर निशान पड़ गए.
  • 9. 07. 2012 : भारी बारिश के दौरान एक एयर इंडिया एक्सप्रेस बोइंग 737-800 लैंडिंग पर स्किड हुई. विमान के लैंडिंग गियर रनवे बीकन के साथ प्रभावित हुए, जिससे वह टूट गए. हालाकी इसमें कोई हताहत नहीं हुआ.
  • 25 .04. 2017 : एयर इंडिया A321-200 को टेकऑफ के दौरान इंजन की खराबी का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप एक बाएं टायर फट गया. टेकऑफ को निरस्त कर दिया गया और उड़ान रद्द कर दी गई.
  • 4.04. 2017: स्पाइसजेट बॉम्बार्डियर डैश आठ लैंडिंग पर स्किड हुआ और आईएलएस बीकन को नुकसान पहुंचा.

2010 मैंगलोर दुर्घटना में कोझीकोड विमान दुर्घटना में एक भयानक समानता है यह एक टेबलटॉप रनवे भी था और विमान फिर दो टुकड़ों में टूट गया.

2010 का मैंगलोर विमान दुर्घटना
22 मई को एक एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ान 812 एक बोइंग 737-800, रनवे से फिसल कर 158 लोगों की चमत्कारिक रूप से मौत हो गई जबकि आठ लोग दुर्घटना में बच गए. विमान दो टुकड़ों में बंट गया.

Last Updated : Aug 8, 2020, 6:21 PM IST

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