नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव अब अंतिम चरण में है. 23 मई को परिणाम आएंगे. लेकिन उसके पहले ही अलग-अलग दलों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो रहा है. इसकी पहल आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू कर रहे हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव कांग्रेस और भाजपा से इतर अलग फ्रंट की वकालत कर रहे हैं. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी संपर्क में बताए जा रहे हैं. वाईएसआर को अगर कुछ सीटें मिलीं, तो वे भी इसमें अहम किरदार हो सकते हैं.
दरअसल, ये कुछ नाम इसलिए सबसे ज्यादा अहमियत रखते हैं, क्योंकि भाजपा के खिलाफ फ्रंट बनाने में इन नेताओं ने आगे बढ़चढ़ कर भूमिका निभाई है. इसके बावजूद यह इस पर निर्भर करता है कि ये अपने-अपने राज्य में कितने मजबूत होकर निकलते हैं. किनको कितनी सीटें मिलती हैं.
केसीआर ने कर्नाटक के सीएम से बातचीत की है. उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री से भी बात की है. कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी से भी उनके अच्छे संपर्क हैं.
वाई एस आर आंध्रप्रदेश में बड़ी राजनीतिक शक्ति के तौर पर उभर सकते हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. इनके मजबूत होने का अर्थ है कि चंद्रबाबू नायडू की राजनीतिक शक्ति कमजोर होगी.
वाईएसआर ने अभी तक किसी भी फ्रंट में जाने का निर्णय नहीं लिया है. उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. लिहाजा, परिणाम आने के बाद ही वे अपना रूख साफ करेंगे.
नवीन पटनायक ओडिशा के सीएम हैं. ओडिशा में 21 सीटें हैं. इस बार के चुनाव में उन्हें कितनी सीटें मिलती हैं, उनकी राजनीतिक ताकत का अंदाजा तभी लगाया जा सकता है.
वाईएसआर की तरह नवीन पटनायक ने भी अपनी पसंद और नापसंद किसी को नहीं बताया है. उनकी ओर से यह बयान अवश्य आया था कि राज्य के हित में वे फैसला लेंगे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस या भाजपा जिसका गठबंधन मजबूत रहेगा. उधर वे जा सकते हैं.
चुनाव विश्लेषक मानते हैं कि इस बार भाजपा की स्थिति 2014 जैसी नहीं रहेगी. यानि कमोजर भाजपा एनडीए में वो काम नहीं कर पाएगी, जो अभी वह कर रही है. एनडीए के पास सीटें कम हुईं, तो जाहिर है उन्हें समर्थन ढूंढना होगा. उनके साथ इन दलों के आने की संभावना है.