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सोलापुर की कविता और उनकी टीम कर रही कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार

महाराष्ट्र के सोलापुर में एक महिला कोरोना वारियर और उनकी टीम ने मानवता की मिसाल पेश की हैं. सोलापुर की कविता और उनकी टाइगर टीम ने कोरोना वायरस से मरने वालों का अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी उठाई है. पढ़ें पूरी खबर...

Corona Warriors of Maharashtra
महाराष्ट्र के कोरोना वारियर्स

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Published : Jun 30, 2020, 8:10 PM IST

सोलापुर (महाराष्ट्र) : कोरोना का कहर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. कोरोना काल के दौरान आपने एक वीडियो देखा होगा, जिसमें स्वास्थ्य परिक्षण के लिए पहुंचे स्वास्थ्यकर्मियों पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था. भारत में कई जगहों पर इन कोरोना वॉरियर्स पर हमले हुए. इसके बाद भी देश को कोरोना मुक्त करने के लिए कोरोना वॉरियर्स दिन-रात लोगों को अपनी सेवाएं देते रहे. इस दौरान कई कोरोना वॉरियर्स ने अपनी जान तक गंवा दी. इसी कोरोना काल में सोलापुर की कविता चह्वाण भी लगातार समाज सेवा कर रही है. कविता और उसकी टाइगर टीम अपनी जान पर खेलकर कोरोना वायरस से मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार कर रही है.

विडम्बना यह है कि संक्रमित होने के डर से लोग अपने परिवार के मृत सदस्य का शव स्वीकार करने और दफनाने से इनकार कर दे रहे हैं. कोरोना से मृत लोगों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन के कर्मचारियों को सौंपी गई है. ऐसे कठिन समय में कविता ने भी मानवता की मिसाल पेश की है और कोरोना योद्धा के रूप में अपने सहयोगियों के साथ आगे आई हैं. उन्होंने कोरोना से अपनी जान गंवाने वाले पीड़ितों का दाह संस्कार करने की जिम्मेदारी उठाई है.

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में कोरोना पीड़ितों और संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. सोलापुर नगर पालिका प्रशासन बढ़ती संख्या के कारण सभी शवों का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहा है. इसी क्रम में सोलापुर के नगर आयुक्त पी. शिवशंकर ने युवाओं से मदद के लिए कोरोना वारियर्स के रूप में आगे आने की अपील की थी. नगर आयुक्त की अपील के बाद बहादुर कविता अपने सहयोगियों के साथ आगे आईं.

जानिए कोरोना वारियर्स की कहानी

कविता और उनकी टीम कोरोना के कारण मृत लोगों के अंतिम संस्कार के लिए दिन-रात काम कर रही है. कविता के साथ टाइगर ग्रुप के सदस्यों- तानाजी जाधव, श्रीमंत चह्वाण, केतन देवी, मधुकर कुरपति, प्रहलाद कालास्कर, सागर राठौड़ और अवी पवार ने इसकी पहल की. उसके बाद नगर स्वास्थ्य अधिकारी और समन्वयक पांडे के निर्देश पर कोरोना वारियर्स द्वारा शव को एम्बुलेंस द्वारा अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है. मृत व्यक्ति के धर्म के अनुसार उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

पढ़ें-कर्नाटक में कोरोना मृतकों के शवों की दुर्गति से मानवता शर्मसार

युवाओं को सामने आना जरूरी
कविता ने ईटीवी से बातचीत मे बताया कि सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में उन्होंने और उनकी टीम ने मृत व्यक्तियों के दाह संस्कार की जिम्मेदारी ली है. उनकी टीम अच्छा कार्य कर रही है. इस कार्य के दौरान वह और उनकी पूरी टीम सुरक्षा का पूरा ख्याल रखती है.

कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बिना कविता और उनकी टाइगर टीम लगातार युद्ध भूमि में पूरी डटी हुई है. कोरोना वारियर्स की यह कहानी समाज में लोगों को संदेश देती है. यह एक ऐसा संदेश है, जिसमें न कोई जात-पात है न ही उम्र की कोई सीमा है. इसमें निस्वार्थ भाव से सिर्फ लोगों की मदद करने की पहल है.

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