नई दिल्ली : वर्ष 2020 आतंकवाद से त्रस्त कश्मीर घाटी में भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए मिला-जुला रहा. हालांकि अच्छी खबर यह है कि पाकिस्तानी और अफगान मूल के आतंकी भारत में घुसपैठ करने में नाकाम रहे, लेकिन बुरी खबर यह है कि स्थानीय लोग तेजी से आतंकवाद की ओर बढ़ रहे हैं.
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2020 में मारे गए कुल 226 आतंकवादियों में से 78 प्रतिशत यानी 176 स्थानीय आतंकी थे, जबकि 50 आतंकी विदेशी थे. स्थानीय लोगों के बीच असंतुष्टता बढ़ने के कारण 2019 की तुलना में इस साल लगभग 40 प्रतिशत अधिक स्थानीय निवासियों ने हथियार उठाए.
हालांकि, सेना के आंकड़ों के अनुसार 2020 में आतंकवाद में शामिल होने वाले स्थानीय लोगों की संख्या 166 है, लेकिन संभवत: इसमें लापता युवाओं की संख्या को शामिल नहीं किया गया है, जो संभवतः आतंकी संगठनों में शामिल हो सकते हैं. इसलिए वास्तविक संख्या और अधिक हो सकती है.
2015, 2016, 2017, 2018 और 2019 में हथियार उठाने वाले स्थानीय युवाओं की संख्या क्रमशः 66, 88, 128, 191 और 119 थी.
दूसरी ओर विदेशी आतंकियों को नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर एक मजबूत सुरक्षा ग्रिड, बेहतर निगरानी के चलते घुसपैठ रोधी ग्रिडों द्वारा नाकाम कर दिया गया है. यह ग्रिड जो ड्रोन, बेहतर इलेक्ट्रॉनिक सर्विलेंस और ह्यूमन इंटेलिजेंस का उपयोग करने के कारण अधिक प्रभावी हो गए हैं.
स्थानीय यूथ क्यों ?
पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के ठीक बाद से ही वहां स्थानीय राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर पाबंदी लगी दी गई. इससे जमीनी स्तर पर एक शिकायत निवारण तंत्र की कमी हो गई.
नतीजन, ऊर्जावान स्थानीय युवाओं की शिकायतों का समाधान नहीं हो सका. ऐसे में इन युवाओं के लिए आतंकवाद ने उनकी भावनाओं को बाहर निकालने का एक तरीका दिया.
हालांकि स्थानीय आतंकवादियों के साथ समस्या यह है कि अगर कोई आतंकी मारा जाता है, तो उसका दूरगामी प्रभाव पड़ता है. इससे असंतुष्ट परिवार और रिश्तेदारों में आक्रोश को बढ़ा देता है, जिससे अधिक युवाओं के आतंकी बनने की संभावना बढ़ जाती है. इस तरह की मौतों से घाटी में बेकाबू विरोध प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं.
अधिक हत्याएं क्यों?
2020 में आतंकवाद में शामिल होने वाले स्थानीय युवाओं की संख्या में वृद्धि के साथ, कार्रवाई में मारे गए आतंकवादियों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई और इस साल पिछले पांच वर्षों के मुकाबले में सबसे अधिक मौतें दर्ज की गईं.