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श्रीनिवास बने दुनिया के सबसे 'तेज' धावक, खेल मंत्री देंगे सहायता

कर्नाटक के श्रीनिवास ने जमैका के उसैन बोल्ट का वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया है. श्रीनिवास ने महज 9.55 सेकेंड में 100 मीटर की दूरी तय कर ली. केंद्रीय खेल मंत्री ने कहा कि मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि भारत में कोई भी प्रतिभा बिना छूटने न पाए. पढ़ें पूरी खबर...

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फाइल फोटो (सौ. ट्वीटर)

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Published : Feb 15, 2020, 12:14 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 9:57 AM IST

मंग्लौर : कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के श्रीनिवास गौड़ा ने आश्चर्य जनक प्रदर्शन किया है. इन्होंने कंबाला रेस में दुनिया के सबसे तेज धावक उसैन बोल्ट का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.

केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट करके कहा कि मैं भारतीय खेल प्राधिकरण (एसआईए) कोच द्वारा कर्नाटक के श्रीनिवास गौड़ा को ट्रायल के लिए बुलाऊंगा. आम तौर पर एथलेटिक्स में ओलंपिक के मानकों के बारे में लोगों में ज्ञान की कमी है, जहां अंतिम मानव शक्ति और धैर्य को देखा जाता है. मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि भारत में कोई भी प्रतिभा बिना छूटने न पाए.

किरण रिजिजू का ट्वीट

किरेण रिजिजू एसआईए के अधिकारियों ने उससे संपर्क किया है. उसका रेल टिकट हो गया है और वह सोमवार को एसआईए सेंटर पहुंचेगा. मैं शीर्ष राष्ट्रीय कोचों को सुनिश्चित करूंगा कि वह अपना ट्रायल ठीक से कर सके. हम टीम हैं.नरेंद्र मोदी खेल प्रतिभाओं को पहचानने के लिए सब कुछ करेंगे!

किरण रिजिजू का ट्वीट

उसैन बोल्ट ने 100 मीटर की दौड़ 9.58 सेकेंड में पूरी की थी. वहीं कर्नाटक के श्रीनिवास ने 142 मीटर की दौड़ को 13.62 सेकंड में ही पूरा किया. जब दूरी और समय के हिसाब 100 मीटर की दूरी का समय निकाला गया, तो पता चला कि यह उसैन बोल्ट से 0.03 सेकेंड कम है. यानी कि महज 9.55 सेकंड में ही इन्होंने 100 मीटर की दूरी तय कर ली.

बता दें कंबाला रेस में श्रीनिवास गौड़ा 10 बार से गोल्ड मेडल जीत रहे हैं. कंबाला दक्षिण कन्नड़ जिले का सांस्कृतिक खेल है.

....क्या है कंबाला रेस

ईटीवी भारत रिपोर्ट.
कर्नाटक में होने वाली कंबाला रेस को बफेलो रेस भी कहा जाता है. यह कर्नाटक का पारंपरिक खेल है. इसे कीचड़ वाले इलाके में आयोजित किया जाता है. कंबाला रेस में दर्जनों उत्साही युवा अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षित भैंसों के साथ भाग लेते हैं.

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कंबाला पर लगाया गया था प्रतिबंध

कुछ साल पहले जानवरों के संरक्षण करने वालों कार्यकर्ताओं ने कंबाला पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. उनका आरोप था कि जॉकी बल का प्रयोग कर तेज दौड़ने के लिए भैंसों को मजबूर करता है. इसके बाद कंबाला पर कुछ वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन बाद में इसे दोबारा से खेला जाने लगा.

Last Updated : Mar 1, 2020, 9:57 AM IST

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