बंतवाल:दक्षिण कर्नाटक के केपू गांव के सुधाकर पूजारी पिछले 20 सालों से मधुमक्खी पालन का काम कर रहे हैं. इस शौक ने अब उनके पूरे घर को शहद का खेत बना दिया है.
बता दें, यह एक ऐसे युवक की कहानी है, जो एक ग्रामीण इलाके में पला-बढ़ा है और जिसने मधुमक्खी के छत्ते को बनाने का करियर चुना है. इसके लिए उसने अपने घर में एक छोटी सी यूनिट भी लगाई है. इसके अलावा सुधाकर ने अपने घर के फार्महाउस को भी शहद रोपण क्षेत्र में तब्दील कर दिया है.
बड्डेककोडी सुधाकर ने बताया कि लगभग बीस साल पहले उसने पुट्टूर में एक बागवानी करने वाला के यहां नौकरी की थी. वहां, 18 साल काम करने के बाद दो साल पहले उन्होंने अपना खुद का बिजनेस शुरू कर दिया है. सुधाकर ने बताया कि उसने अपने घर के पास एक छोटा मधुमक्खी पालन शेड बनाया और वहीं, मधुमक्खी पालन का काम कर रहा हूं.
राज्य के बागवानी विभाग ने भी की मदद
राज्य मे मधुमक्खी पालन सहकारी समितियों और प्राइवेट मधुमक्खी पालन करने वालों की लगातार बढ़ती मांगों को देखते हुए सुधाकर ने अपनी यूनिट का विस्तार किया और नए-नए उपकरणों को भी लगाया. इसके साथ-साथ उसने अपनी यूनिट में मधुमक्खी रिफाइनरी, बॉक्स स्टैंड, कृत्रिम मोम की चादरें, माउथपीस का भी इंतजाम किया है. राज्य के बागवानी विभाग ने भी सुधाकर को मधुमक्खी पालन करने को बढ़ावा दिया. इसके लिए विभाग मधुमक्खी पालन करने वालों को शहद का डिब्बा और अन्य सामान भी दिए. इन सबके साथ ही सुधाकर ने शहद का फॉर्म शुरू किया. बता दें, इस समय सुधाकर के फॉर्महाउस में करीब 400 शहद के बक्से मौजूद हैं.