नई दिल्ली : कर्नाटक के अयोग्य विधायकों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था, इस बात के सबूत उनके पास मौजूद हैं और यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया था.
अयोग्य विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने भी कहा कि राज्यपाल द्वारा विधायकों के खिलाफ ह्विप जारी करना अदालत का उल्लंघन है.
रोहतगी ने अदालत से कहा कि न्यूनतम सात दिनों में जवाब देने के लिए कहा गया था. लेकिन उन्हें केवल तीन दिन का समय दिया गया और फिर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया.
मुकुल ने यह भी कहा कि विधायकों ने छह जुलाई को इस्तीफा दे दिया और सभी चार्टर्ड फ्लाइट, होटल, कैंपिंग जैसे कारणों को उनके इस्तीफे वजह नहीं बताया जा सकता है. रोहतागी ने कहा, 'पूरी बात प्रतिशोध और दुर्भावना के कारण बनी है. यह भी तर्क दिया गया कि अयोग्यता केवल ताजा चुनावों तक ही मान्य है.'
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हालांकि सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई,लेकिन न्यायमूर्ति एनवी रमना ने यह स्पष्ट कर दिया कि इसे कल तक समाप्त कर दिया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस-जदएस सरकार को गिरने की स्थिति तक पहुंचाने वाले इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था.