रायपुर : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिनके बारे में लिखने और कहने के लिए शब्द कम हैं. गांधी वो हैं जो हर भारतीय की आत्मा में बसते हैं. भारत को आजादी दिलाने वाले महात्मा के कदम दो बार छत्तीसगढ़ में भी पड़े.
महात्मा गांधी की यादें किताबों, फोटोग्राफ में सहेज कर रख ली गई हैं. हर पीढ़ी उन्हें पढ़ती और सहेजती आ रही है. गांधी जी ने हरिजनोद्धार कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ से की थी. खास बात ये है कि इस कार्यक्रम को लेकर उन्होंने जितना वक्त यहां बिताया, उतना पूरे देश में कहीं नहीं बिताया.
महात्मा गांधी पहली बार 1920 में कंडेल सत्याग्रह में हिस्सा लेने छत्तीसगढ़ आए थे. वहीं दूसरी बार 1933 में गांधी छत्तीसगढ़ पधारे. उनकी इन यात्राओं के दौरान कई दिलचस्प वाकये हुए, जो आज भी इतिहासकार याद करते हैं. चलिए हम आपको इन यात्राओं के दौरान हुई दिलचस्प घटनाओं से रूबरू कराते हैं.
धमतरी में किसानों ने की थी बगावत
1920 के आसपास महात्मा गांधी भारत के सबसे बड़े नेता को तौर पर स्थापित हो चुके थे. देश के लोग अपनी आवाज गांधी में खोजने लगे थी. इसी दौरान धमतरी के पास अंग्रेज सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ किसानों ने बगावत कर दी. प्रशासन किसानों पर पानी चुराने का आरोप लगा कर लगान वसूली कर रहा था और उनके मवेशियों को जब्त कर रहा था. इससे इलाके के किसान बेहद दुखी थे. तंग आकर छत्तीसगढ़ के स्थानीय नेताओं ने इस आंदोलन में गांधी जी को शामिल करने का फैसला किया. पंडित सुंदरलाल शर्मा गांधी जी को लेने कोलकाता गए.
जहां गांधी ने जनसभा की, उस मैदान का नाम गांधी मैदान पड़ा
20 दिसंबर, 1920 को रायपुर रेलवे स्टेशन पर गांधी जी का भव्य स्वागत हुआ. उनकी एक झलक पाने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा था उसी शाम गांधी जी ने एक जनसभा को संबोधित किया जिसे आज भी रायपुर में गांधी मैदान के नाम से जाना जाता है. अगले दिन सुबह वे धमतरी के लिए रवाना हुए.