दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने पीएम को पाती लिख कृषि कानूनों पर दिए सुझाव

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में लिखा है कि किसान 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश करने और ट्रैक्टरों के साथ गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं. यह स्पष्ट है कि सरकार द्वारा अनुमति नहीं दी जाएगी जिसके परिणामस्वरूप पुलिस और अर्धसैनिक बल लाठीचार्ज या गोलीबारी कर सकते हैं.

katju
katju

By

Published : Jan 15, 2021, 4:38 PM IST

Updated : Jan 15, 2021, 5:15 PM IST

नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, जिसमें सरकार से अध्यादेश जारी कर कृषि कानूनों को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. पत्र में कहा गया है कि गलती हुई है और अब इसे सुधारा जाना चाहिए.

जस्टिस काटजू ने लिखा कि सभी इंसान गलतियां करते हैं. इसे सुधारने से ख्याति और बढ़ेगी न कि छवि खराब होगी. इससे आपकी सराहना की जाएगी.

पूर्व न्यायमूर्ति काटजू ने कहा कि चूंकि किसानों ने अदालत की नियुक्त समिति के सामने पेश होने से इनकार कर दिया है. इसलिए सरकार को किसान संघ के सदस्यों, प्रतिनिधियों और कृषि विशेषज्ञों के साथ एक उच्च स्तरीय किसान आयोग बनाना चाहिए. आयोग बैठकें करे और चर्चा करे कि किसान क्या चाहते हैं. फिर इसे सर्वसम्मति से एक व्यापक कानून के रूप में इसे अधिनियमित किया जाना चाहिए.

आंदोलन जारी रहने पर हिंसा की बात स्वीकार करते हुए काटजू ने कहा है कि जब तक कानूनों को रद्द नहीं किया जाता आंदोलन बंद नहीं होगा.

हिंसा न हो इसलिए उठाएं कदम
पत्र में लिखा कि भारी तादाद में किसान दिल्ली की सीमाओं पर एकत्रित हुए हैं. साथ ही 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश करने और अपने ट्रैक्टरों के साथ गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं. यह स्पष्ट है कि सरकार द्वारा अनुमति नहीं दी जाएगी और इसके परिणामस्वरूप पुलिस और अर्धसैनिक बल लाठीचार्ज या गोलीबारी कर सकते हैं. ऐसे में यह हिंसा अपरिहार्य लगती है.

जैसा कि जनवरी 1905 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में जलियांवाला बाग की तरह नरसंहार हुआ था या अक्टूबर 1795 में पेरिस में वेंडीमेरी जैसी स्थिति बन सकती है.

यह भी पढ़ें-IMF ने की मोदी सरकार के कृषि कानूनों की तारीफ, सामाजिक सुरक्षा की नसीहत भी

किसानों के लिए सोचकर लें फैसला
पत्र में कहा गया है कि किसान देश की 60-65 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. कोई भी कानून जो इतनी बड़ी आबादी को प्रभावित करता है उसे बहुत सावधानी से और लंबे विचार-विमर्श के बाद बनाया जाना चाहिए, जो कि वर्तमान मामले में नहीं हुआ और जल्दबाजी इसे पारित किया गया.

उन्होंने कहा कि किसान एक बहुत बड़ा वोट बैंक भी हैं जो अब तक जाति और धर्म के आधार पर विभाजित थे, लेकिन अब इन कानूनों के खिलाफ एकजुट हैं. यदि कोई हिंसा होती है तो यह पुलिस और सेना को भी प्रभावित करने के लिए बाध्य होगी, क्योंकि वे भी ज्यादातर किसान या किसानों के बेटे हैं. जिनकी सहानुभूति दिल से उनके साथ हो सकती है.

Last Updated : Jan 15, 2021, 5:15 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details