नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई की जा रही है. तेजी से हो रही सुनवाई के बाद सात दशक पुराने अयोध्या विवाद के सुलझने की एक उम्मीद जरूर दिख रही है. सीजेआई गोगोई नवंबर में सेवानिवृत्त हो रहे हैं, इसलिए मामले की रोजाना सुनवाई की जा रही है ताकि जल्द नतीजा निकल सके.
न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल के माध्यम से हिंदुओं और मुसलमानों के विभिन्न दलों के बीच आम सहमति नहीं बन सकी. इसके बाद न्यायमूर्ति गोगोई ने इस मामले में सप्ताह के सभी कार्य दिवसों पर सुनवाई करने का फैसला किया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 2010 में अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच समान रूप से विभाजित करने संबंधी फैसला देने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.
अयोध्या मामले में भगवान के जन्मस्थान को सह-याचिकाकर्ता के रूप में भी शामिल किया गया है. साथ ही इसने विवादित स्थल के 2.77 एकड़ से अधिक स्थान पर दावा किया है, जहां विवादित ढांचे को ढहाया गया था.
मामले से जुड़े एक वकील ने कहा, 'जब से चीफ जस्टिस ने इस मामले को अपने हाथों में लिया है, तब से उनके रिटायर होने से पहले ही इस पर फैसला आने की उम्मीद है. अगर वह अपने कार्यकाल के दौरान फैसला नहीं ले पाते हैं तो फिर मामले को किसी अन्य पीठ द्वारा नए सिरे से सुना जाना चाहिए. ऐसा आमतौर पर कभी नहीं होता.'
पीठ पहले ही छह दिन की सुनवाई कर चुकी है और अब तक निर्मोही अखाड़ा ने अपना तर्क पूरा कर लिया है. अब रामलला विराजमान (विवादित जगह पर पीठासीन भगवान) के वकील का पक्ष सुना जा रहा है.
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