दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

महिला दिवस विशेष : मुश्किलों को मारा मेहनत का 'मुक्का' और रिंग की क्वीन बन गई मैरीकॉम

महिला दिवस पर हम आपको मैरीकॉम के जीवन का खूबसूरत सफर बताने जा रहे हैं. इस मौके पर आइए हम सेलीब्रेट करें देश के दूसरे सर्वोच्च पुरस्कार पद्म विभूषण के लिए चयनित पहली भारतीय महिला मुक्केबाज मैरीकॉम के सफर को. देखें ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट...

मैरिकॉम
मैरिकॉम

By

Published : Feb 29, 2020, 11:19 PM IST

Updated : Mar 3, 2020, 12:29 AM IST

इंफाल : कोई बेटी जब घर से चुनौतियों से लड़ने निकलती होगी, तो कैसी होती होगी. कोई लड़की जब धूल में मुश्किलों को पंच करती होगी, तो कैसी होती होगी. वह पत्नी जिसे पति ने बहुत सपोर्ट किया और वह मां, जिसने तिरंगे को परचम बना कर विश्व पटल पर लहरा दिया. वह एक ही है और उसने भारत की शान तिरंगा इतने मान से लहराया है कि इस देश की आधी आबादी का आदर्श बन गई.

महिला दिवस पर आइए हम सेलीब्रेट करें आठ बार की वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियन और देश के दूसरे सर्वोच्च पुरस्कार पद्म विभूषण के लिए चयनित पहली भारतीय महिला खिलाड़ी मैरीकॉम के सफर को.

ईटीवी भारत का रिपोर्ट

मणिपुर में हुआ था मैरीकॉम का जन्म
मणिपुर की रहने वाली बॉक्सर मैरीकॉम का जन्म एक मार्च 1983 को चुर्चाचंदपुर जिले में हुआ था. उनके माता-पिता किसान थे. मैरीकॉम का पूरा नाम मांगटे चुंग्नीजंग मैरी कॉम है, उन्हें फैन्स प्यार से एम सी मैरीकॉम भी कहते हैं. राज्यसभा की सदस्य इस खिलाड़ी की जिन्दगी बड़े लंबे संघर्ष के बाद यहां पहुंची है.

मैरिकॉम

संघर्ष को सफलता में बदल दिया
बचपन में मैरी कॉम अपने माता-पिता के साथ खेती किया करती थीं. डिंको सिंह को देखकर और उनसे प्रेरित होकर मैरीकॉम के मन में बॉक्सर बनने की इच्छा जागी. पढ़ाई में वे अच्छी नहीं रहीं लेकिन खेलों में मन लगता था. 37 साल की मैरीकॉम ने जब लड़कियों को बॉक्सिंग रिंग में देखा तो उन्हें लगा कि वो भी मुक्केबाजी करेंगी. घरवाले भी इसके लिए तैयार नहीं थे. पैसों की समस्या भी पहाड़ की तरह थी. हालांकि परिवार मान गया और मैरीकॉम ने तमाम परेशानियां झेलते हुए 15 साल की उम्र में अपना सफर शुरू कर दिया. साल 2001 से उन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय सफर शुरू किया था.

सुपरवूमन और सुपमॉम हैं मैरीकॉम
मैरी कॉम को ऑनलर कॉम के रूप में एक बहुत ही समझदार जीवन साथी मिला. ऑनलर फुटबॉलर थे, दोनों ने 2005 में शादी की थी. उनकी शादी से उनके कोच भी नाराज हो गए थे. सबको लगा कि वो बॉक्सिंग छोड़ देंगी, लेकिन मैरीकॉम ने जिद से अपनी दुनिया बदल ली.

मैरिकॉम

दो साल बाद उन्होंने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. उस वक्त ऑनलर कॉम ने घर संभाल लिया और मैरीकॉम दूसरी बार तैयारी के लिए रिंग में उतरीं. वे जब दोबारा रिंग में उतरी तो दो जुड़वा बच्चों की मां ने 2008 में चौथा विश्व चैंपियनशिप गोल्ड जीतकर देश की झोली में डाल दिया. मैरीकॉम सुपरमॉम हैं, उन्होंने ज्यादातर मेडल मां बनने के बाद जीते हैं.

हासिल किया ये मुकाम
37 साल की मैरीकॉम पद्म विभूषण पाने वाली चौथी और पहली महिला खिलाड़ी बनी हैं. इससे पहले चेस प्लेयर विश्वानाथन आनंद (2007), क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर (2008) और पर्वतारोही सर एडमंड हिलैरी (2008) को यह सम्मान दिया जा चुका है. सचिन तेंडुलकर को साल 2014 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से भी सम्मानित किया जा चुका है.

मैरिकॉम

वैश्विक जल संकट : बूंद-बूंद गिरते पानी से बढ़ेगी चुनौती

एक नजर करियर पर-

  • वह पहली बॉक्सर बनीं, जिन्होंने आठ विश्व चैंपियनशिप पदक जीते हों.
  • पहली भारतीय महिला बनीं जिन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई किया और कांस्य पदक जीता
  • पहली भारतीय महिला बॉक्सर बनीं जिन्होंने एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता.
  • साउथ कोरिया में 2014 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था.
  • कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं.
  • अकेली मुक्केबाज हैं, जो रिकॉर्ड पांच बार एशियन एमेच्योर बॉक्सिंग चैम्पियन रहीं.

मिल चुके हैं यह पुरस्कार-

  • 2020 में पद्म विभूषण के लिए चयनित
  • 2013 में मिला पद्म भूषण पुरस्कार
  • 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार
  • 2006 में पद्म श्री पुरस्कार
  • 2003 में अर्जुन अवार्ड मिला
Last Updated : Mar 3, 2020, 12:29 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details