श्रीनगर :जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादास्पद रोशनी अधिनियम को असंवैधानिक घोषित कर दिया और निर्देश दिया कि 25 हजार करोड़ रुपये की भूमि आवंटन योजना की जांच सीबीआई को हस्तांतरित कर दी जाए.
हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने उस याचिका पर अनुमति प्रदान की, जिसमें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से रोशनी अधिनियम के तहत 25,000 करोड़ रुपये के भूमि आवंटन घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई है.
नवंबर 2001 में राज्य विधानमंडल द्वारा इसे अधिनियमित किया गया और मार्च 2002 में लागू किया गया था. इसके तहत राज्य में जल विद्युत उत्पादन के लिए धन जुटाने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें राज्य की भूमि को निजी स्वामित्व में स्थानांतरित करके 25,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की योजना थी.
कैग की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 25,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले केवल 76 करोड़ रुपये ही निजी स्वामित्व में भूमि के हस्तांतरण से प्राप्त हुए.
इस मामले में जम्मू-कश्मीर के कई रसूखदार नेता, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और भू-माफिया शामिल रहे हैं. राजनेताओं, व्यापारियों और नौकरशाहों को राज्य की भूमि को अपने स्वामित्व में स्थानांतरित करने और मनमाने ढंग से तय दरें निर्धारित करने पर कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.