नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर को दो केन्द्र शासित क्षेत्रों में बांटने की केन्द्र सरकार की पहल के लागू होने पर क्षेत्रफल के लिहाज से जम्मू कश्मीर के बाद लद्दाख देश का दूसरा सबसे बड़ा केन्द्र शासित क्षेत्र होगा.
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को केन्द्र सरकार द्वारा निष्प्रभावी घोषित किये जाने के साथ ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी एक विधेयक को राज्यसभा में सोमवार को मंजूरी मिली.
इस संबंध में जम्मू कश्मीर के मुख्य राजनीतिक दलों पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी जबकि केन्द्र सरकार में सत्तारूढ़ भाजपा के खेमे में जश्न का माहौल है. भाजपा नेताओं का मानना है कि लद्दाख को केन्द्र शासित क्षेत्र घोषित करने की वहां के लोगों की मांग काफी समय से लंबित थी.
राज्यों की फेहरिस्त में दो राज्य जुड़ने का मार्ग प्रशस्त होने के बाद संघ शासित क्षेत्रों की संख्या नौ हो जायेगी. इनमें जम्मू कश्मीर और लद्दाख के अलावा दिल्ली, पुडुचेरी, दीव और दमन, दादर एवं नगर हवेली, चंडीगढ़, लक्षद्वीप और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं.
पढ़ेंः जम्मू-कश्मीर : विशेष शक्तियां देने वाले अनुच्छेद 370 के बारे में जानें सबकुछ
मौजूदा समय में सिर्फ दिल्ली और पुडुचेरी में विधानसभा हैं. अब जम्मू कश्मीर भी विधानसभा वाला तीसरा केन्द्र शासित क्षेत्र हो जायेगा. विधानसभा वाले संघ शासित क्षेत्र में केन्द्र के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की जगह उपराज्यपाल होता है.
संघ शासित क्षेत्रों से संसद के दोनों सदनों के लिये भी सदस्य चुने जाते हैं. यह बात दीगर है कि इनकी संख्या हर राज्य में अलग अलग होती है. संसद सदस्यों की संख्या के लिहाज से दिल्ली अव्वल है. संसद में दिल्ली का प्रतिनिधित्व सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सदस्य करते है.