श्रीनगर: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने वर्ष 2016-17 के दौरान जम्मू-कश्मीर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के उचित कार्यान्वयन को लेकर राज्य की पिछली पीडीपी-भाजपा सरकार की विफलता को उजागर किया है.
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उचित योजना तैयार नहीं होने के कारण सभी जिलों के लिए दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित नहीं किया जा सका.
कैग ने सामाजिक, सामान्य एवं आर्थिक (गैर सार्वजनिक उपक्रम) क्षेत्र के लिए 31 मार्च 2017 को समाप्त वर्ष की अपनी रिपोर्ट में कहा कि श्रम बजट सौंपे जाने में देरी के कारण केंद्र की ओर से कोष जारी करने में देरी हुई. इसके चलते मजदूरी के भुगतान में भी देरी हुई.
मनरेगा योजना का मकसद प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले परिवार के उन वयस्क सदस्यों को कम से कम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना है जो कि अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं.