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जामिया लाठीचार्ज : एक आंख गंवाने वाले छात्र ने बयां की दर्द भरी दास्तां - छात्र ने बयां की दर्द भरी दास्तां

जामिया में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के बीच पुलिस लाठीचार्ज में न जाने कितने छात्रों के घायल होने की खबर आई थी. इसी दौरान एलएलएम के एक छात्र मिन्हाजुद्दीन ने अपनी एक आंख गंवा दी. मिन्हाज ने अपनी दर्द भरी दास्तां बयां की. जानें उन्होंने अपनी जिंदगी के उस काले दिन को याद करते हुए क्या कुछ कहा...

Jamia student who lost partial vision in police action
एक आंख की रोशनी गंवाने वाले जामिया का छात्र

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Published : Dec 23, 2019, 12:07 AM IST

नई दिल्ली : मोहम्मद मिन्हाजुद्दीन कानून की प्रैक्टिस शुरू करने का सपना लेकर पिछले साल दिल्ली आए थे, लेकिन 15 दिसंबर को जामिया मिलिया इस्लामिया लाइब्रेरी में पुलिस की कथित कार्रवाई में उनकी एक आंख की रोशनी चली गई.

जामिया में एलएलएम के छात्र मिन्हाजुद्दीन अपनी पढ़ाई पूरी कर अपने गृहगनर बिहार वापस जाना चाहते हैं क्योंकि उनका कहना है कि वह अब विश्वविद्यालय के परिसर में भी सुरक्षित महसूस नहीं करते. उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था में उनका विश्वास डगमगा गया है.

मिन्हाज ने याद करते हुए कहा, 'मेरा क्या दोष है? मैं पुराने पुस्तकालय में एमफिल और पीएचडी के छात्रों के लिए आरक्षित कक्ष में पढ़ाई कर रहा था. जब हमें पता चला कि पुलिस परिसर में घुस आई है तो हमने उसे अंदर से बंद कर लिया, लेकिन वे अंदर घुस आए और छात्रों पर लाठीचार्ज शुरू कर दिया.

पुलिस, आगजनी में शामिल 'बाहरी लोगों' को पकड़ने के लिए 15 दिसंबर को विश्वविद्यालय परिसर में घुस गई थी, लेकिन उसने छात्रों पर लाठीचार्ज की बात से इनकार कर दिया था.

मिन्हाजुद्दीन ने कहा कि छात्रों ने पुलिस को बताया कि वे संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल नहीं थे, लेकिन उन्होंने उनकी एक नहीं सुनी.

उन्होंने दावा किया, 'वे जान बूझकर लाइब्रेरी में घुसे. विरोध गेट नंबर 7 के बाहर हो रहा था, जो सड़क के दूसरी तरफ है. मैंने विरोध में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन मुझे बेरहमी से पीटा गया.'

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उन्होंने कहा कि उनकी एक अंगुली की हड्डी भी टूट गई है.

मिन्हाजुद्दीन ने कहा, 'चिकित्सकों ने कहा कि मेरी दूसरी आंख में भी संक्रमण की आशंका है. लिहाजा, मैं अपने हाथों को साफ करने और अपने आस-पास की हर चीज को साफ रखने के लिए सैनिटाइजर का उपयोग कर रहा हूं.'

उन्होंने कहा, 'मुझपर जो गुजरी, उसके बाद मैं किसी को भी पुस्तकालय में पढ़ाई करने की सलाह नहीं दूंगा.'

छात्र ने कहा, "घटना के बाद में विश्वविद्यालय नहीं गया हूं, मैं भयभीत हूं. मैं बिना डर के पुस्तकालय में कभी प्रवेश नहीं कर पाऊंगा. मैं अपने विश्वविद्यालय के परिसर में सुरक्षित महसूस नहीं करता.'

बिहार से यहां आए मिन्हाज के माता-पिता तो चाहते हैं कि वह घर लौट चले, लेकिन मिन्हाज ने जाने से इनकार कर दिया.

उन्होंने कहा, 'मैं अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद अपने गृहनगर में कानून की प्रैक्टिस शुरू करूंगा. इससे पहले मैं दिल्ली में प्रैक्टिस करना चाहता था क्योंकि यहां उच्चतम न्यायालय और छह जिला अदालतें हैं, साथ ही यहां काफी मौके भी हैं, लेकिन इस घटना के बाद, मैं यहां काम नहीं करना चाहता.'

मिन्हाजुद्दीन पिछले साल ही दिल्ली आए थे, लेकिन उन्हें अपने फैसले पर पछतावा हो रहा है.

उन्होंने कहा, 'मैं नहीं जानता था कि दिल्ली इतना असुरक्षित शहर है. मैंने पढ़ाई के लिए यहां आकर बड़ी भूल की.'

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