कोलकाता : महाभारत के महाकाव्य में वर्णित अर्जुन के बाणों में परमाणु शक्ति होने के अपने दावे की आलोचना के बावजूद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने अपने रुख से हटने से इनकार कर दिया और अपने आलोचकों से भारतीय इतिहास एवं संस्कृति का अध्ययन करने को कहा है.
धनखड़ ने कहा कि वह बड़ी गंभीरता से यह मानते हैं कि भारत 4,000 साल पहले विश्व नेता था. माना जाता है कि महाकाव्य में उसी काल का वर्णन है.
शिक्षाविदों ने उनकी इस टिप्पणी की आलोचना की. बहरहाल अपनी इस टिप्पणी से धनखड़ उन नेताओं की जमात में शामिल हो गए ,जिन्हें हाल के वर्षों में अपनी अजीबो-गरीब दलीलों से पौराणिक कथाओं को विज्ञान से जोड़ा.
बुधवार को यहां एक कार्यक्रम से अलग उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'कृपया भारतीय इतिहास, भारतीय संस्कृति को पढ़ें. मैं किसी के भी साथ बहस को तैयार हूं. यह कहना बहुत आसान है कि यह वैज्ञानिक नहीं है. हमने दुनिया को वह दिया है जो उनके पास कभी नहीं था. मुझे अपनी बातों पर भरोसा है और मैं अपनी वैज्ञानिक पृष्ठभूमि पर भी यकीन करता हूं. 4,000/5,000 साल पहले हमारे देश की संस्कृति समृद्ध थी.'
धनखड़ ने कहा कि वह अपने आलोचकों के विचार का सम्मान करते हैं, उन्हें असहमत होने का अधिकार है. उन्होंने कहा, 'कुछ लोग भगवान राम को पौराणिक चरित्र मानते हैं लेकिन मैं नहीं.'
धनखड़ ने मंगलवार को आयोजित 45वें पूर्वी भारत विज्ञान मेले एवं 19वें विज्ञान एवं इंजीनियरिंग मेले में दावा किया था कि रामायण के समय से ही विमान मौजूद थे.
उन्होंने कहा, 'यह कहा जाता है कि 1910 या 1911 में विमान का आविष्कार हुआ. लेकिन अगर हम अपने शास्त्रों की मानें तो रामायण में हमें उड़न खटोले (विमान) का जिक्र मिलेगा.'
धनखड़ ने कहा, 'यह 20वीं सदी में नहीं, बल्कि रामायण के दिनों में हमारे पास पुष्पक विमान था. संजय ने महाभारत का पूरा युद्ध घृतराष्ट्र को सुनाया, लेकिन टीवी देखकर नहीं. महाभारत में अर्जुन के तीरों में परमाणु शक्ति थी.'
उन्होंने कहा कि महाकाव्य महाभारत में ऐसा प्रसंग है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान संजय ने हस्तिनापुर में बैठकर दृष्टिबाधित नरेश धृतराष्ट्र को आंखों देखा हाल सुनाया था. इसके लिए संजय के पास दिव्यदृष्टि जैसी कोई शक्ति थी.