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अयोध्या टाइटल सूट विवाद : 40वें दिन सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ, जफरयाब जिलानी से जानें

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Published : Oct 17, 2019, 12:04 AM IST

Updated : Oct 17, 2019, 11:04 AM IST

अयोध्या के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर देश की शीर्ष अदालत में पिछले 40 दिनों तक लगातार सुनवाई की गई. बुधवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. 2.77 एकड़ भूमि से जुड़े इस टाइटल सूट के कई अहम पड़ाव हैं. सुप्रीम कोर्ट में हुई कार्यवाही को समझने के लिए ईटीवी भारत ने जफरयाब जिलानी से बात की. जानें पूरा विवरण

जफरयाब जिलानी

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई खत्म हो गई. साल 1950 में अदालत के दरवाजे पर पहुंचा इस मुकदमे में कई अहम मोड़ आए हैं. सर्वोच्च न्यायालय में पिछले 6 अगस्त से शुरू होने के बाद 40 दिनों तक रोजाना सुनवाई हुई. इस मामले को समझने के लिए ईटीवी भारत ने जफरयाब जिलानी से बात की.

ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान जफरयाब जिलानी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में टाइटल सूट की सुनवाई के दौरान आज हिंदू पक्ष ने जवाब पेश किया.

जफरयाब जिलानी

बकौल जिलानी, सूट नंबर चार इस केस का सबसे अहम हिस्सा है. ये मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर किया गया है. जिलानी ने बताया कि हिंदू पक्ष के जवाब के बाद कोर्ट ने राजीव धवन को मुस्लिम पक्ष की ओर से जवाब पेश करने के लिए एक घंटे का समय दिया. इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया.

बता दें कि जिलानी इस केस में अहम वकील रहे हैं. उन्होंने इस केस को करीब से देखा-समझा है. सुप्रीम कोर्ट में इस पर बहस भी की है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े होने के कारण जिलानी इस जटिल टाइटल सूट को समझने की अहम कड़ी हैं.

इससे पहले बुधवार को शाम करीब 6 बजे 40 दिनों की लंबी सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया. बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामला राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील है.

टाइटल सूट पर सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट से एक नोटिस जारी किया गया. इसमें कहा गया कि सुनवाई पूरी होने के एक दिन बाद गुरुवार को उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सदस्य 'चैम्बर में' बैठेंगे.

उच्चतम न्यायालय ने इस बारे में कहा है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और चार अन्य न्यायाधीश चैम्बरों में बैठेंगे, जहां मामले से संबद्ध पक्षों को जाने की इजाजत नहीं होगी.

नोटिस में कहा गया है, 'यह ध्यान रखें कि गुरुवार 17 अक्टूबर को प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर चैम्बरों में बैठेंगे.'

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सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की. इस दौरान विभिन्न पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें पेश कीं.

संविधान पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुये संबंधित पक्षों को 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ' (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया.

इस मामले में दशहरा अवकाश के बाद 14 अक्टूबर से अंतिम चरण की सुनवाई शुरू हुई. न्यायालय के पहले के कार्यक्रम के तहत यह सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी की जानी थी. हालांकि, 14 अक्टूबर को सुनवाई शुरू होने पर न्यायालय ने कहा कि यह 17 अक्टूबर तक पूरी की जायेगी. इसके बाद 15 अक्टूबर को पीठ ने यह समय सीमा घटाकर 16 अक्टूबर कर दी.

Last Updated : Oct 17, 2019, 11:04 AM IST

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