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भारत-चीन सीमा पर स्थिति शांतिपूर्ण : आईटीबीपी प्रमुख - itbp dg on situation along the border areas

आईटीबीपी के प्रमुख एस.एस. देसवाल ने कहा कि ITBP के 200 जवानों को चीन में बोली जाने वाली भाषा मैंडरिन सिखाई जा चुकी है. भारत-चीन सीमा पर किसी भी प्रकार के विवाद को सुलझाने के लिए यह भाषा सिखायी गयी है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मामल्लापुरम में हुई मुलाकात के बाद वहां पर चीनी सेनाओं द्वारा किसी बड़ी घुसपैठ की घटना सामने नहीं आई है. पढ़ें पूरा विवरण...

आईटीबीपी के प्रमुख एसएस देसवाल

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Published : Oct 23, 2019, 5:18 PM IST

नई दिल्ली : भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रमुख एस.एस. देसवाल ने बुधवार को बताया कि भारत-चीन सीमा पर किसी भी विवाद को सुलझाने के लिए अब तक आईटीबीपी के 200 जवानों को चीन में बोली जाने वाली भाषा मैंडरिन सिखाई जा चुकी है.

आईटीबीपी की वार्षिक कॉन्फ्रेंस में आईटीबीपी प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मामल्लापुरम में हुई मुलाकात के बाद वहां पर चीनी सेनाओं द्वारा किसी बड़ी घुसपैठ की घटना सामने नहीं आई है.

आईटीबीपी की वार्षिक कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से बात करते आईटीबीपी प्रमुख एस.एस. देसवाल

देसवाल के मुताबिक 2017 में डोकलाम पर भारत और चीन के बीच हुई मुठभेड़ के बाद आईटीबीपी ने 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा पर 25 नये बॉर्डर आउट पोस्ट्स (बीओपी) तैयार किये, जो हिमालयन रेंज के अंतर्गत आते हैं.

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आईटीबीपी प्रमुख देसवाल ने बताया कि इस साल हम उत्तर-पश्चिम में काराकोरम से म्यांमार सीमा का आकलन करेंगे, जिससे हमें यह पता चल सके कि और कितने नये बीओपी तैयार किये जा सकते हैं.

ट्वीट सौ. एएनआई

एसएस देसवाल ने बताया कि बॉर्डर पर एडवांस तकनीक का इस्तेमाल अब तेजी से बढ़ रहा है और आईटीबीपी ने भी समय के साथ अपने उपकरणों को अपग्रेड करना शुरू कर दिया है.

उन्होंने बताया कि जो दुनिया की बेहतर सेनाएं हैं, उनकी ट्रेनिंग के तरीकों को हम भारत में भी अपना रहे हैं और यह समय समय के साथ और अपग्रेड होता रहेगा.

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के गृह मंत्रालय के उस प्रस्ताव पर विचार करने की संभावना है, जिसके तहत असम राइफल्स को आईटीबीपी के साथ मिलाने और उनका संयुक्त संचालन नियंत्रण उसे देने की बात होगी.

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इस पर जब आईटीबीपी के डीजी की प्रतिक्रिया पूछी गई तो उन्होंने बताया कि आईटीबीपी को 57 वर्षों का अनुभव हो चुका है और उनके जवान देश में किसी भी परिस्थिति से निबटने के लिए सक्षम हैं और उनकी ट्रेनिंग आर्मी जवानों जितनी ही कठिन होती है.

देसवाल ने बताया कि मौजूदा समय में आईटीबीपी 14 वीआईपी हस्तियों को सुरक्षा मुहैया करा रही है.

बता दें कि भारत-चीन संघर्ष के उपरांत देश की उत्तरी सीमाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 24 अक्टूबर 1962 को भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल का गठन किया गया था.

आईटीबीपी का मुख्य कार्य भारत तिब्बत सीमा की सुरक्षा और रखवाली करना, सीमा की जनता को सुरक्षा की भावना प्रदान करना, महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों का निर्वाहन और आपदा प्रबंधन आदि करना है.

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