देहरादून : इस साल उत्तराखंड में हुई बर्फबारी ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए है. उत्तराखंड में हुई बर्फबारी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के पहाड़ बर्फ की सफेद चादर के ढके हुए हैं. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही है कि इस सीजन में हो रही बर्फबारी कहीं हिमयुग का संकेत तो नहीं है.
दरअसल वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून वैज्ञानिकों ने जहां रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी पर खुशी जाहिर की है तो वहीं कुछ मामलों पर उनकी चिंता भी बढ़ गई है. क्या वास्तव में छोटे हिमयुग की शुरूआत तो नहीं है? आखिर क्या है हिमयुग, कैसे होती है हिमयुग की शुरुआत? इस पर ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
हिमालयी क्षेत्रों में इस सीजन जो भारी बर्फबारी हो रही है उसने वैज्ञानिकों को भी चिंता में डाल दिया है. क्योंकि इस साल भारी बर्फबारी से न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि कई हिमालयी राज्य बर्फ की सफेद चादर से ढक गए हैं, बल्कि हिमालय क्षेत्र पूरी तरह बर्फ में समा गया है. आलम यह है कि दिनों दिन हो रही भारी बर्फबारी ने पूरे हिमालय का नक्शा ही बदल दिया. जी हां...! हिमालय क्षेत्रो में बर्फबारी की तस्वीर देखकर तो यही लगता है कि वास्तव में लिटिल हिमयुग की शुरुआत हो गयी है.
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क्या है हिमयुग?
पृथ्वी अधिक गर्म होने के बाद जब अपने आप को ठंडा करती है तो उसे हिमयुग कहते है. इस दौरान पृथ्वी का तापमान बहुत कम हो जाता है, यही नहीं चारों तरफ बस बर्फ ही बर्फ नजर आती है. पृथ्वी पर सब कुछ जम जाता है. जिसके बाद एक बार फिर धीरे-धीरे समुंद्र के माध्यम से पृथ्वी अपने आपको गर्म करती है. हालांकि, पृथ्वी पर यह चक्र लगातार चलता रहता है.
भारी बर्फबारी से ग्लेशियर ग्रो करता है
पिछले साल 2018-19 में भी बर्फबारी तो अच्छी हुई थी, लेकिन काफी देर से हुई थी. हालांकि, इस सीजन में रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी हो रही है, जो नवंबर के पहले महीने में ही शुरू हो गई थी. हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी होने से एक सिस्टम बनता है, क्योंकि अच्छी बर्फबारी होने से न सिर्फ ग्लेशियर ग्रो करते हैं बल्कि ग्लेशियरों के मेल्ट होने की संभावना भी कम हो जाती है. इसके साथ ही हिमालयों पर बर्फबारी होने से ग्लेशियर पर बर्फ की परत चढ़ जाती है, जो पहले पिघलती है. हालांकि, बर्फबारी पहले से ही होती रही हैं. लेकिन पहले कम बर्फबारी हो रही थी और लेट भी शुरू हो रही थी. जिस वजह से ग्लेशियर रिचार्ज नहीं हो पा रहे थे. इससे गर्मियों में ग्लेशियर सीधे मेल्ट होने लगते थे. लेकिन इस सीजन में हो रही बर्फबारी की रिपोर्ट बेहद अच्छी है. हर साल इसी तरह बर्फबारी होती रही तो ग्लेशियर और रिचार्ज होंगे, जो भविष्य के लिए बहुत अच्छा साबित होगा.