हैदराबाद : कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लगभग सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियां बाधित हो गईं हैं. वहीं देशव्यापी लॉकडाउन होने से लोगों की आवाजाही पर भी पाबंदी लगी हुई है. ऐसे में देश की कई दिग्गज कंपनियों ने 'एक्ट ऑफ गॉड' (Act of God) क्लॉज का आह्वान किया है.
इनमें भारत के सबसे बड़े निजी मल्टी-पोर्ट ऑपरेटर अदानी पोर्ट्स, भारत सरकार की स्वामित्व वाले तेल और गैस कंपनी इंडियन ऑयल, भारत की सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स चेन पीवीआर सिनेमा सहित कई अन्य दिग्गज कंपनियां शामिल हैं.
'एक्ट ऑफ गॉड' क्लॉज को 'फोर्स मेज्योर' (Force Majeure) भी कहा जाता है. 'एक्ट ऑफ गॉड' क्लॉज ज्यादातर कॉर्पोरेट्स और कमर्शियल प्लेयर्स द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे लोगों को 'एक्ट ऑफ गॉड' किराए के भुगतान, ऋण और अन्य चीजों के साथ छूट देता है.
क्या है 'एक्ट ऑफ गॉड'
'फोर्स मेज्योर' एक फ्रांसीसी शब्द है, इसे ही 'एक्ट ऑफ गॉड' कहा जाता है. 'एक्ट ऑफ गॉड' की स्थिति में कंपनी को कुछ जिम्मेदारी, कर्तव्य और काम से छुटकारा मिल जाता है. यह वह स्थिति होती है, जो इंसान के बस से बाहर होती है.
इस स्थिति का जिक्र कानून में भी किया गया है. लेकिन वास्तव में भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 में 'फोर्स मेज्योर' को स्पष्ट रूप से संदर्भित नहीं किया गया है.
हालांकि, अधिनियम 32 और 56 में कानूनी रूप से इसकी वैधता प्रदान की गई है. इसके अनुसार, जब एक बड़ी अप्रत्याशित घटना या 'एक्ट ऑफ गॉड' होता है तो कंपनियां अपने दायित्व से बचाने के लिए इसका उपयोग कर सकती हैं. लेकिन अनुबंध के दौरान 'फोर्स मेज्योर' का दोनों कंपनियों के बीच होना जरूरी है.
युद्ध, दंगे, क्रांति, विस्फोट, हमला, बंदरगाह अवरोधक, सरकारी कार्य, बाढ़, भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं, इन सभी को 'एक्ट ऑफ गॉड' या 'फोर्स मेज्योर' कहा जा सकता है.