त्रिवेंद्रम : मध्य केरल के सभी मंदिरों में त्योहारों का अंत हो गया है. त्रिशूर पूरम की परिणति से चिह्नित होता है. यकीनन यह केरल का सबसे लोकप्रिय मंदिर त्योहार है.
त्रिशूर में हर साल इरिंगलाकुडा श्री कुडाल मणिक्यम मंदिर में दस दिवसीय उत्सव की शुरुआत, त्यौहार के झंडे को फहरा कर होती है.
पूरा देश कोरोना महामारी से पूरी तरह से जूझ रहा है, इसलिए त्योहार के दौरान होने वाले समारोहों को भी 'बंद' कर दिया गया है ताकि भीड़ इकठ्ठा न हो.
गांधीग्राम के मूल निवासी इलमबालकट्टिल रतीश उन्नी ने इस दौरान श्री कुडाल मणिक्यम मंदिर का लघुचित्र बनाने के अपने सपने सपने पर काम करने और इसे बनाने का फैसला किया.
रतीश अपने बचपन से ही हर साल बिना किसी चूक के लगातार कुडल मणिक्यम मंदिर उत्सवों को भव्यता से करवा रहे हैं.
इस बार कोरोना की वजह से उत्सव नहीं हो सका तो रतीश ने त्योहार के दौरान मंदिर के मॉडल की का लकड़ी से लघुचित्र बनाने का फैसला किया. जिसे उन्होंने लगभग एक महीने बाद पूरा कर लिया है और यह अद्भु है.
कुंडल मणिक्यम भारत मंदिर, इरिंजालकुडा में चार एकड़ भूमि में फैला हुआ. यह मंदिर अपने रीति-रिवाजों और इसकी भव्य मूर्तियों के लिए भारत के मंदिरों के बीच एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है.