नई दिल्ली : कोरोना महामारी के खिलाफ पूरा देश एक होकर लड़ रहा है. इस सामूहिक प्रयास का परिणाम है कि दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले हमारी स्थिति बेहतर है. भारत में कोरोना बीमारी की वजह से मृत्यु दर तीन फीसद से भी कम है. क्या है भारत की सफलता की असली वजह और भारत के सामने क्या चुनौतियां हैं, इन सारे मुद्दों पर ईटीवी भारत के न्यूज एडिटर निशांत शर्मा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से बातचीत की है. आइए इसे विस्तार से जानते हैं...
सवाल: यह हम सभी के लिए कठिन समय है. हर कोई जानना चाहता है कि देश की क्या स्थिति है? क्या सरकार आश्वस्त है कि स्थिति नियंत्रण में है?
जवाब: यह पूरी दुनिया के लिए कठिन समय है. मैंने चार से पांच दशक में कभी भी स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर इस तरह का सक्रिय जुड़ाव नहीं देखा है. जहां तक भारत की बात है, तो चीन से शुरू हुए इस वायरस के खिलाफ कदम उठाने वालों में हमने सबसे अधिक तत्परता दिखाई.
सात जनवरी को चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को नोवल कोरोना वायरस के बारे में जानकारी दी थी. उसके अनुसार यह निमोनिया का कारण बना हुआ था. उसके बाद हमने 24 घंटे से भी कम समय में विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई. हमारी प्रतिक्रिया त्वरित थी.
अगले 10 से 14 दिन में हमने सभी राज्यों के लिए एक एडवायजरी तैयारी की. 18 जनवरी को हमने चीन और हांगकांग से आने वाले यात्रियों के साथ-साथ समुदाय स्तर पर भी निगरानी शुरू कर दी थी.
पिछले तीन माह में हमने इस महामारी के खिलाफ कई एहतियाती कदम उठाए. पीएम की प्रत्यक्ष निगरानी में मंत्रियों के समूह ने काम करना शुरू कर दिया. 20 लाख लोगों की स्क्रीनिंग और 10 लाख लोगों को सामुदायिक निगरानी में रखा गया.
हमने जनता कर्फ्यू जैसे नए तरीकों और लॉकडाउन के साहसिक निर्णय के साथ इसका पालन किया. दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में भारत काफी अच्छी जगह पर है. पूरी दुनिया हमें देख रही है. भारत में मृत्यु दर कम है. हमारा रिकवरी रेट 30 फीसद से अधिक है.
चार महीने के अंदर हमने रोजाना 95 हजार लोगों का परीक्षण किया. इसके साथ ही 450 से ज्यादा प्रयोगशालाओं का विस्तार किया है. हमारी रणनीति और सफलता को लेकर सब कुछ साफ है.
सवाल: कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, क्या जांच केंद्रों में जांच वृद्धि के साथ-साथ मामलों की संख्या बढ़ रही है?
जवाब: कोरोना के मामलों में कोई उल्लेखनीय तेजी नहीं आई है. आंकड़ों का ग्राफ स्थिर ही नजर आ रहा है. इसके अलावा हमने पिछले 24 घंटों में देश में 85 हजार लोगों की जांच की है. जब हमने परीक्षण शुरू किया, तो एक दिन में दो हजार लोगों की जांच किया करते थे.
हम सीवियर रेस्पिरेट्री इन्फेक्शन (एसएआरआई) और इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) पर भी नजर बनाए हुए हैं. राज्य भी हमारा पूरा सहयोग कर रहे हैं.
देश में पिछले तीन माह में लगभग 50 हजार से 60 हजार मामले सामने आए हैं. बाकी देशों में लाखों की संख्या में मामले हैं. हमारी मृत्यु दर लगभग तीन प्रतिशत है, जबकि इसका वैश्विक औसत लगभग सात से साढ़े सात प्रतिशत है. जांच की संख्या तेज होने से मामलों में बढ़ोतरी हुई है.
सवाल: जांच केंद्रों के संबंध में सरकार की क्या योजना है? इस महीने के अंत तक आप कितने परीक्षण केंद्र बनाने की योजना बना रहे हैं? भारत की वर्तमान परीक्षण रणनीति के पीछे तर्क क्या है और यह किस तरह से पर्याप्त है?
जवाब: पहले हम वायरोलॉजी परीक्षण के लिए सैंपल को अमेरिका भेजते थे. जब हमें वायरस के पहले मामले की जानकारी मिली थी, तो उस समय हमारे पास सिर्फ एक लैब थी. अब मई के दूसरे हफ्ते में हमने पूरे देश में 472 लैब में सुविधाओं का विस्तार किया है. इनमें से 275 लैब सरकारी सेक्टर से हैं.
95000 जांच की प्रक्रियाओं को विकसित किया गया है. यह रणनीति आईसीएमआर द्वारा निर्देशित विशेषज्ञों के एक समूह की सलाह पर आधारित है. किसका परीक्षण किया जाना है, इस पर स्पष्ट सलाह और दिशानिर्देश है.
जांच की नीतियों को प्रोफेशनल्स की सलाह के साथ ही तैयार किया गया है. हमारी जांच की क्षमता की वजह से ही हम इस समस्या का निदान करने में सक्षम हुए हैं. हम उन जगहों की समस्याओं को भी खत्म करने में कारगर हो सकते हैं, जो हॉटस्पॉट, गैर-हॉटस्पॉट और अप्रभावित जिले हैं.
सवाल: केंद्र सरकार या स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों की तुलना में कुछ राज्यों द्वारा दिए जा रहे आंकड़ों में काफी अंतर है?
जवाब: कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या में कोई विसंगति नहीं है. इसकी प्रक्रिया संदिग्ध की पहचान से शुरू होकर उसकी जांच रिपोर्ट तक जाती है. इस रिपोर्ट को आईसीएमआर और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम को भेज दिया जाता है.
अंत में स्वास्थ्य मंत्रालय में सभी स्रोतों से आए डेटा को एकत्र किया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया बहुत गतिशील होती है इसलिए अलग-अलग पोर्टल पर संख्या भिन्न हो जाती है. हालांकि जब सरकार सारा डेटा एकत्रित करती है, तो उसमें कोई विसंगति नहीं होती है. कोई डेटा भिन्न नहीं होता, सब कुछ पूरी तरह से पारदर्शी है.
सवाल : वर्तमान में कितने हॉट-स्पॉट ऐसे हैं, जिन पर सरकार का ध्यान केंद्रित है?