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देखें, महिला फोटो जर्नलिस्ट मसरत जहरा से ईटीवी भारत की खास बातचीत

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बीते रोज एक महिला फोटो जर्नलिस्ट मसरत जहरा के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था. श्रीनगर की रहने वाली 26 वर्षीय मसरत जहरा पर सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी पोस्ट करने, युवाओं को भड़काने और शांति व्यवस्था भंग करने का आरोप है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने महिला फोटो जर्नलिस्ट मसरत जहरा से खास बातचीत की. देखें वीडियो...

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महिला फोटो जर्नलिस्ट मसरत जहरा

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Published : Apr 21, 2020, 7:38 PM IST

Updated : Apr 22, 2020, 12:14 PM IST

नई दिल्ली/श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बीते रोज एक महिला फोटो जर्नलिस्ट मसरत जहरा के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था. श्रीनगर की रहने वाली 26 वर्षीय मसरत जहरा पर सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी पोस्ट करने, युवाओं को भड़काने और शांति व्यवस्था भंग करने का आरोप है.

इस संबंध में ईटीवी भारत ने महिला फोटो जर्नलिस्ट मसरत जहरा से खास बातचीत की. जहरा ने ईटीवी भारत से कहा कि उनकी आवाज दबाने के लिए पुलिस ने उन पर कार्रवाई की है. वे (पुलिस) मुझे चुप कराना चाहते हैं. वह मुझे दबाना चाहते हैं क्योंकि मैं कश्मीर की दमित आवाजों और कहानियों को दुनिया के सामने लाती हूं.

ईटीवी भारत से बात करती मसरत जहरा

जहरा ने कहा कि पिछले चार वर्षों से मैं लगातार सीखने और अपना स्थान बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हूं. उन्होंने कहा कि कश्मीर में बहुत कम महिला फोटो जर्नलिस्ट हैं.

जहरा का कहना है कि जिन तस्वीरों को साझा करने के लिए मुझे गिरफ्तार किया गया है, वह पहले से अलग अलग भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में प्रकाशित हो चुकी हैं.

गौरतलब है कि पुलिस ने जहरा द्वारा किए गए किसी गैरकानूनी पोस्ट का कोई विवरण नहीं दिया था. पुलिस ने सिर्फ उनके दिए एक जेनेवा स्थित द न्यू ह्यूमैनिटेरियन (टीएनएच) समाचार एजेंसी में साल 2019 के लेख से ट्वीट की गई पोस्ट का हवाला दिया.

बता दें, जहरा के काम को द वाशिंगटन पोस्ट, द सन, द न्यू ह्यूमैनिटेरियन, टीआरटी वर्ल्ड, अल जज़ीरा, द कारवां सहित और अन्य कई प्रकाशनों में जगह मिली चुकी है.

क्या है यूएपीए

बता दें, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) आरोपी के खिलाफ आतंकवादी के रूप में उस पर मुकदमा चलाने की अनुमति देता है. ये अधिनियम ऐसे मामलों की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सशक्त बनाता है. इस कानून के तहत आरोपी को सात साल तक की जेल हो सकती है.

Last Updated : Apr 22, 2020, 12:14 PM IST

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