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आज है अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, जानें इसका इतिहास

योग के विज्ञान का जन्म हजारों साल पहले प्रथम धर्म या विश्वास के पैदा होने से भी बहुत पहले हुआ. योग शिक्षा के अनुसार शिव को प्रथम योगी या आदियोगी और प्रथम गुरु या आदिगुरु के रूप में देखा जाता है.

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Published : Jun 21, 2020, 5:21 AM IST

नई दिल्ली : योग हजारों सालों से भी अधिक समय से प्रचलन में है. योग जीवन का एक समग्र तरीका है जो योग के प्राचीन ज्ञान के सभी तत्वों को एकीकृत करता है, ताकि प्रार्थनापूर्वक अनुशासनमय रहते हुए, शरीर, मन और आत्मा को एक कर सकें. योग की सुंदरताओं में से एक खूबी यह भी है कि बुढ़े, युवा, स्वस्थ या कमजोर सभी के लिए योग का शारीरिक अभ्यास लाभदायक है. योग एक प्रकार से सभी को उन्नति की ओर ले जाता है.

योग और इसका इतिहास

हम कह सकते हैं कि योग एक अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित आध्यात्मिक अनुशासन है, जो मन और शरीर के बीच सद्भाव लाने पर केंद्रित है. यह स्वस्थ जीवन जीने की एक कला है. योग के माध्यम से एक मनुष्य शारीरिक और मानसिक रू प से खुद को स्वस्थ्य रख सकता है. यह अभ्यास अपने आप में अद्भुत है.

प्राचीन काल में भारत में मन की स्थायी शांति और सच्चे आत्म अनुभव करवाने के उद्देश्य से योग की खोज हुई थी.

दरअसल संस्कृत के शब्द 'युज' से बना है, जिसका मतलब है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या आत्मा से मिलन.

बता दें कि योग, भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी शैली है. हालांकि कई लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं, जहां लोग शरीर को मोड़ते, मरोड़ते, खींचते हैं और श्वास लेने के जटिल तरीके अपनाते हैं. यह वास्तव में केवल मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमता का खुलासा करने वाले इस गहन विज्ञान के सबसे सतही पहलू हैं, योग का अर्थ इन सब से कहीं विशाल है .

दरअसल, योग विज्ञान में जीवन शैली का पूर्ण सार आत्मसात किया गया है.

माना जाता है कि जब मानव सभ्यता की शुरूआत हुई थी, तब से ही योग की प्रथा चली आ रही है. विद्वानों का मानना है कि योग की उत्पत्ति आज से हजारों वर्षों पूर्व हुई थी. हम भगवान शिव को प्रथम योगी या आदियोगी या फिर उन्हें प्रथम आदि गुरु मानते हैं.

हमें अपने पूर्वजों से यह मालूम है कि भगवान शिव ही आदियोगी हैं. उन्होंने ही सर्वप्रथम योग साधना की थी.

विदेशों लोकप्रिय हुआ योग

योग की यह प्राचीन शैली भारत से होते हुए विदेशों तक जा पहुंचा और इसका श्रेय हमारे गुरुओं को जाता है. स्वामी विवेकानंद जिन्होंने 19वीं सदी के अंत में और 20वीं सदी की शुरुआत में पश्चिम के देशों में जाकर योग का प्रचार-प्रसार किया. सन 1980 तक आते-आते पूरे विश्व में योग का प्रचार हो चुका था. योग पूरी दुनिया में शारीरिक व्यायाम की एक प्रणाली के तौर पर लोकप्रिय हो गया. हम आज योग के इस रूप को हठ योग कहते हैं.

योग साधना की बुनियादी बातें:

योग शरीर व मन की ऊर्जा के स्तर पर काम करता है. योग का नियमित अभ्यास शरीर में सकारात्मक बदलाव लाते हैं जिससे मजबूत मांसपेशियां, लचीलापन और अच्छा स्वास्थ्य शामिल है. इसलिए साधन योग का अभ्यास नियमित रूप से करते रहना चाहिए.

योग एक शरीर, मन, भावना और ऊर्जा के स्तर पर काम करता है.

चार श्रेणियां:

योग व्यक्ति के शरीर, मन, भावना और ऊर्जा के स्तर पर कार्य करता है. इसने चार व्यापक श्रेणियों को जन्म दिया है.

  • कर्म योग: जहां हम शरीर का उपयोग करते हैं.
  • ज्ञान योग: जहां हम मन का उपयोग करते हैं.
  • भक्ति योग: जहां हम भावना (संवेग) का उपयोग करते हैं.
  • क्रिया योग: जहां हम ऊर्जा का प्रयोग करते हैं.

बता दें कि, 21 जून 2015 से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव के बाद 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया था.

पीएम मोदी ने कहा-

योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है. यह मन और शरीर की एकता का प्रतीक है; विचार और कार्रवाई; संयम और पूर्णता; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य; स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण. यह व्यायाम के बारे में नहीं है, बल्कि स्वयं, दुनिया और प्रकृति के साथ एकता की भावना की खोज करना है. हमारी जीवन शैली को बदलकर और चेतना पैदा करके, यह भलाई में मदद कर सकता है. आइए हम एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को अपनाने की दिशा में काम करें.

नरेंद्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस प्रारंभिक प्रस्ताव के बाद, 14 अक्टूबर 2014 को UNGA ने "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस" ​​नामक मसौदा प्रस्ताव पर अनौपचारिक विचार-विमर्श किया था.

2015 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को चिह्नित करने के लिए 10 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संयुक्त राष्ट्र के संबोधन में 21 जून की तारीख का सुझाव दिया क्योंकि यह उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन है और दुनिया के कई हिस्सों में एक विशेष महत्व रखता है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विचार पहली बार भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित किया गया था.

इसके बाद, संयुक्त राष्ट्र ने 11 जून 2014 को 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया.

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भारत ने जोरदार आयोजन कर दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना ली. भारत ने दो विश्व रिकॉर्ड बना 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में अपना नाम दर्ज करा लिया है.

पहला रिकॉर्ड एक जगह पर सबसे अधिक लोगों के योग करने का बना, तो दूसरा कीर्तिमान बना एक साथ सबसे अधिक देशों के लोगों के योग करने का.

21 जून 2015 को दुनिया भर में योग का पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया गया.

योग दिवस के आयोजन को सफल बनाने के लिए आयुष मंत्रालय पिछले दो महीने से कड़ी मेहनत कर रहा था. एक ही जगह पर सबसे बड़ी योग कक्षा का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए आयुष मंत्रालय ने अलग इंतजाम किए थे. उसी के प्रयासों का परिणाम था कि पीएम मोदी के साथ कुल 35,985 लोगों ने योग किया. इतना ही नहीं, 84 देशों के लोगों ने एक साथ योग किया गया, जो एक विश्व रिकॉर्ड है.

2016 का योग दिवस चंडीगढ़ में-

साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग दिवस पर करीब 30,000 लोगों को शामिल किया. उन्होंने इस दौरान योग से जुड़ी कई रोचक बातें भी बताईं. उन्होंने कहा- योग धार्मिक गतिविधि नहीं है, बल्कि स्वस्थ मन और शरीर को स्वस्थ रखने का एक तरीका मात्र है.

2017 में लखनऊ से योग दिवस-

भारत ने लखनऊ में योग दिवस 2017 को मनाया. यह अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के तीसरा संस्करण था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और 51,000 प्रतिभागियों के साथ रमाभाई अम्बेडकर सभा स्टाल में योग किया था.

2018 का योग दिवस देहरादून से

2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के देहरादून में योग दिवस मनाया. मोदी ने उत्तराखंड के देहरादून में वन रिज़र्व इंस्टीट्यूट (FRI) में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2018 के जश्न का नेतृत्व किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि योग विभाजित नहीं करता है, बल्कि लोगों को एकजुट करता है. उन्होंने यह भी कहा कि योग दुनिया की एकीकृत शक्तियों में से एक बन गया है.

2019 का योग दिवस रांची से-

झारखंड की राजधानी रांची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में प्रभात तारा मैदान में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया था.

योग का उद्देश्य-: योग का अंतिम लक्ष्य मोक्ष (मुक्ति) है, इस बात की सटीक परिभाषा के माध्यम से कि यह किस रूप में दार्शनिक या धार्मिक प्रणाली पर निर्भर करता है जिसके साथ संयुग्मित है।

योग का लाभ-: एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में, संयुक्त राज्य अमेरिका में दीर्घकालिक योग चिकित्सकों ने योग के कई फायदे बताएं .

सर्वश्रेष्ठ योग तकनीकें जो तनाव को कम करती हैं और एकाग्रता और प्रतिरक्षा में सुधार करती हैं.

अलग-अलग योग, उनमें से सबसे आम हैं-

सूर्य नमस्कार :सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है. इसी कारण प्राचीन ऋषि-मुनि सूर्य की पूजा-अर्चना करते थे. 'सूर्य नमस्कार' का मतलब है सूर्य को नमन करना यानि सन सेल्यूटेशन (Sun Salutation). अगर आप योग की शुरुआत कर रही हैं तो इसके लिए 'सूर्य नमस्कार' का अभ्यास सबसे बेहतर है। यह आपको एक साथ 12 योगासनों का फायदा देता है और इसीलिए इसे सर्वश्रेष्ठ योगासन भी कहा जाता है. यह तनाव को कम करने और एकाग्रता के अपने स्तर को बढ़ाने के अलावा आपको मानसिक शांति देने के लिए जाना जाता है.

ध्यान योग : ध्यान में इंद्रियां मन के साथ, मन बुद्धि के साथ और बुद्धि अपने स्वरूप आत्मा में लीन होने लगती है. निरोगी रहने के लिए ध्यान बहुत आवश्यक है. ध्यान से उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है. सिरदर्द दूर होता है. शरीर में प्रतिरक्षण क्षमता का विकास होता है. ध्यान से शरीर में स्थिरता बढ़ती है। यह स्थिरता शरीर को मजबूत करती है.

प्राणायाम : प्राणायाम को आम तौर पर सांस नियंत्रण की प्रक्रिया समझा जाता है. प्राणायाम दो शब्दों के मेल से बना है. प्राण और आयम. प्राण का मतलब महत्वपूर्ण ऊर्जा या जीवन की शक्ति है. आयम का मतलब है विस्तार करना. प्राणायाम का सही मतलब जीवन का विस्तार करना होता है. इससे आंतरिक शांति प्रदान होती है.

प्राणायाम के कई फायदे हैं. प्राणायाम मन को स्पष्टता और शरीर को सेहत प्रदान करता है. शरीर, मन और आत्मा में प्राणायाम करने से तालमेल बनता है.

कोरोना महामारी और योग

श्वसन स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा में सुधार करने में मदद करने के लिए योग से अच्छा साधन और कुछ भी नहीं है. योग से कोविड-19 से बचाव और उपचार दोनों में शामिल हैं.

योग के कई प्रकार को अपने जीवन में उतारने से कोरोना महामारी से मनुष्य काफी हद तक अपना बचाव कर सकता है.

आयुर्वेद, योग और ध्यान मनुष्य को स्वस्थ्य रखने की दिशा में बेहतरीन काम करता है. इससे स्वस्थ वातावरण का संचार होता है.

योग किसी विशेष धर्म, विश्वास प्रणाली या समुदाय का पालन नहीं करता है. यह मनुष्य की भलाई के लिए है. योग करने से लोग स्वस्थ होते हैं. इसका किसी भी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.

वर्तमान समय में, योग शिक्षा कई प्रतिष्ठित योग संस्थानों, योग कॉलेजों, योग विश्वविद्यालयों, नेचुरोपैथी कॉलेजों और निजी ट्रस्टों और समाजों में योग विभागों द्वारा प्रदान की जा रही है. कई योग क्लीनिक, योग थेरेपी और प्रशिक्षण केंद्र, योग की निवारक स्वास्थ्य देखभाल इकाइयां, योग अनुसंधान केंद्र आदि अस्पताल, डिस्पेंसरी, चिकित्सा संस्थानों और चिकित्सा क्षेत्र में स्थापित किए गए हैं.

प्रसिद्ध योग गुरु जिन्होंने योग की दी शिक्षा

तिरुमलई कृष्णमाचार्य:

तिरुमलई कृष्णमाचार्य को मॉडर्न योग का पितामह कहा जाता है. कृष्णमाचार्य आयुर्वेद आचार्य थे. 20वीं शताब्दी में मॉडर्न और हठ योग की शुरुआत करने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है.

स्वामी शिवानंद:

वे पेशे से डॉक्टर होने के साथ-साथ संत भी हैं. वह अपने हास्य के लिए लोकप्रिय थे. उन्होंने 18 विशेषताओं का वर्णन करते हुए एक गीत लिखा जो एक योगी के पास होना चाहिए और उनमें से, उन्होंने शीर्ष पर हास्य रखा. उन्होंने ट्रिनिटी के योग सिखाए जो हठ योग, कर्म योग और मास्टर योग का एक मिश्रण है.

बी के एस अयंगर:

अयंगर टी कृष्णमाचार्य के शुरुआती छात्रों में से एक थे. उन्होंने विदेशों में योग की महत्व को बताया. बचपन से, वह कई बीमारियों से जूझते आ रहे थे.फिर उन्होंने योग का सहारा लिया. उन्होंने पतंजलि के योग सूत्र को फिर से परिभाषित किया और अंत में दुनिया को 'आयंगर योग' का उपहार दिया. उन्होंने जब दुनिया को छोड़ा तो वे 95 वर्ष के थे.

कृष्ण पट्टाभि जोयीस

उनके योग के प्रकार को अष्टांग विनयसा योग या केवल अष्टांग योग के रूप में जाना जाता है। यह योग कोरुन्ता नामक एक प्राचीन ग्रन्थ पर आधारित है। इस योग ने बॉलीवुड और हॉलीवुड दोनों सहित कई लोकप्रिय हस्तियों को अपना संपूर्ण आकार प्राप्त करने में मदद की. उदाहरण के लिए, मैडोना, ग्वेनेथ पाल्ट्रो और करीना कपूर प्रमुख हैं.

महर्षि महेश योगी

महर्षि महेश योगी पारलौकिक ध्यान तकनीक में सिद्धहस्त हैं, जिसने लोकप्रिय अमेरिकी बैंड बीटल्स को आकर्षित किया. यह मंत्र ध्यान का एक रूप है जिसका अभ्यास बंद आँखों से किया जाता है.

परमहंस योगानंद:

उन्होंने पश्चिम में क्रिया योग की तकनीक की शुरुआत की.

बाबा रामदेव:

उनके सामूहिक योग शिविरों ने योग को फिर से मुख्यधारा में ला दिया है. बाबा रामदेव ने दुनिया को योग के बारे में फिर से बताया और लोगों को योग करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने टीवी के माध्यम से लोगों के घर-घर पहुंचकर योग करना सिखाया है.

योग मनुष्यों के जीवन शैली को सही दिशा में ले जाता है. अपना देश (भारत) योग के माध्यम से पूरे विश्व को स्वस्थ देखना चाहता है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयास के कारण ही विश्व 21 जून 2015 से दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाता आ रहा है.

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