हैदराबाद : नशीली दवाओं का दुरुपयोग से मुक्त अंतरराष्ट्रीय समाज बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व वैश्विक सहयोग को मजबूत करने के लिए हर साल 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य मादक द्रव्यों के सेवन के साथ-साथ नशीली दवाओं के अवैध व्यापार को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाना है.
इतिहास
नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीयदिवस पहली बार 1987 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मनाया गया था. विश्व औषधि रिपोर्ट 2017 के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा ड्रग्स एंड क्राइम रिपोर्ट जारी की गई. इसमें पाया गया कि लगभग एक अरब लोगों के एक चौथाई भाग ने 2015 में कम से कम एक बार ड्रग्स का इस्तेमाल किया. इनमें से लगभग 29.5 मिलियन लोग (या वैश्विक वयस्क आबादी का 0.6 प्रतिशत) नशीली दवाओं से होने वाले विकारों से पीड़ित थे.
बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान
नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के खिलाफ 2020 के अंतरराष्ट्रीय दिवस की थीम 'बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान' है. यह दुनिया की नशे की समस्या को समझने और इसे सुधारने की आवश्यकता पर जोर देती है. बेहतर ज्ञान और समझ से नशे की समस्या का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा और लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और शासन में भी सुधार आएगा.
नशीली दवाओं के दुरुपयोग व लत के बारे में जानकारी
नशीली दवाओं का दुरुपयोग तब होता है जब कोई व्यक्ति कानूनी या गैर कानूनी पदार्थ का उपयोग इस तरह से करता है जिस तरह से उसके उपयोग की सलाह नहीं दी जाती है. गोलियां एक निर्धारित मात्रा में ली जाने की चिकित्सीय सलाह दी जाती है. ऐसा नहीं करने पर नशीली दवाओं का दुरुपयोग होता है. व्यक्ति इसका उपयोग करके अच्छा महसूस करने लगता है, ऐसा करके वह वास्तविकता से बचने की कोशिश करते हैं.
यदि कोई इन दवाओं का आदी नहीं है, वह गलत आदतों पर लगाम लगा सकता है. हालांकि, इसकी लत के कारण स्वास्थ्य संबंधी विकार होने लगते हैं. वित्तीय संकट के बावजूद लोग इसे नहीं छोड़ पाते. इसकी लत व्यक्ति के लोगों के साथ रिश्ते को भी प्रभावित करती है.
भारत में नशीली दवाओं का दुरुपयोग
भारत में पिछले कुछ दशकों में नशीली दवा की खपत देश के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरी है. यह देश के बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाली सबसे गंभीर समस्याओं में से एक बन गई है. फरवरी 2019 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जो इस गंभीर समस्या पर प्रकाश डालती है. इसे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया गया था.
सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष
- राष्ट्रीय स्तर पर 10 से 75 वर्ष के बीच के लगभग 14.6 प्रतिशत लोग (लगभग 16 करोड़ लोग) शराब का सेवन करते हैं.
- पिछले 12 महीनों के भीतर लगभग 2.8 प्रतिशत भारतीयों ने (3.1 करोड़ लोगों ने) भांग से बने किसी उत्पाद का सेवन किया.
- सर्वेक्षण के समय लगभग 2.06 प्रतिशत लोग ओपियोड का उपयोग कर रहे थे. इनमें से लगभग 0.55 प्रतिशत लोगों को ओपियोड से छुटकारा पाने के लिए मदद की आवश्यकता है.
- यह अनुमान लगाया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 8.5 लाख लोग ड्रग्स (PWID) इंजेक्ट करते हैं.
भारतीय राज्यों की स्थिति
- असम, दिल्ली, हरियाणा, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नशीली दवाओं का दुरुपयोग सबसे ज्यादा होता है.
- नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी में किए गए सर्वेक्षणों में पंजाब लगातार शीर्ष या शीर्ष पांच में रहा है.
- नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार में भारत का प्रमुख स्थान है.
पंजाब में स्थिति
पंजाब लंबे समय से इस समस्या का सामना कर रहा है. राज्य में लगभग 75 प्रतिशत युवाओं को नशीली दवाओं की लत है. इससे भी चिंताजनक बात यह है कि पंजाब में लगभग 89 फीसदी नशीले पदार्थों का सेवन पढ़े-लिखे और साक्षर लोग कर रहे हैं. पंजाब में हर दिन औसतन 1,400 रुपये हेरोइन पर खर्च किए जाते हैं. पंजाब की अंतरराष्ट्रीय सीमा से निकटता के कारण देश के बाकी हिस्सों में ड्रग्स की तस्करी करने में आसानी होती है. युवा जो बेरोजगार हैं वह अक्सर अपनी परेशानियों को भूलने की उम्मीद में मादक पदार्थों का सहारा लेते हैं. कभी-कभी, युवा अपने साथियों के प्रभाव में ड्रग्स लेने की कोशिश करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर वह नशे की लत के शिकार हो जाते हैं.