नई दिल्ली : हरियाणा और महाराष्ट्र में अगले पखवाड़े विधानसभा चुनाव होने हैं. दोनों ही क्षेत्रों में कांग्रेस की सीधी लड़ाई भाजपा से है, लेकिन कांग्रेस अंदरूनी कलह से उबर नहीं पा रही है. अब पार्टी के लिए बड़ा झटका यह है हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.
तंवर ने अपने 4 पेज के इस्तीफे में कांग्रेस की चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्य के प्रभारी गुलाम नबी आजाद पर गंभीर आरोप लगाये हैं.
दूसरी तरफ महाराष्ट्र में संजय निरुपम पहले से ही खुली बगावत कर रहे हैं. उन्हे पहले तो मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष से हटाया गया और उसके बाद मिलिंद देवड़ा को नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
यह लड़ाई सिर्फ महाराष्ट्र और हरियाणा तक सीमित नहीं दिख रही, बल्कि उत्तर प्रदेश में सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली से विधायक अदिति सिंह ने पार्टी को खुली चुनौती दे दी. बीते दिनों ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया था.
वहीं, इस संबंध में ईटीवी भारत ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि, 'पांच साल लगातार मुझे भी और मेरे जैसे तमाम साथियों को चाहे वह हरियाणा हो या हरियाणा के बाहर उन्हें काम करने के लिए हमेशा रोकने की कोशिश की गई. पार्टी को कमजोर किया गया. हजार लोगों ने कांग्रेस को सिचा, संवारा, उसके लिए संघर्ष किया, लोगों के लिए संघर्ष किया लेकिन अंत में हावी वही हुए जो बड़े-बड़े लोग थे.'
इस्तीफे को एक्सेप्ट करने पर तवर बोले, 'एक बार जब मन बन जाए और एक जगह दाम कम हो जाए तो वहां ज्यादा अत्याचार सहन करना भी सही नहीं होता.'
गौरतलब है कि तवर ने सोनिया गांधी के घर के सामने विरोध करते हुए कहा था कि उन्हें भाजपा छह बार बुला चुकी है लेकिन आज उन्होंने कहा कि वह किसी पार्टी में जाने की नहीं सोच रहे.
बता दें, कांग्रेस ने पिछले महीने चार सितंबर को अशोक तवर को हटाकर कुमारी शैलजा को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इलेक्शन मैनेजमेंट कमिटी का चेयरमैन का पद सौंपा था. इसके बाद से तवर नाराज नजर आ रहे थे. हालांकि, उन्हें कल की जारी हुई स्टार प्रचारकों में जगह दी गई थी लेकिन आज उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
इसके साथ ही उन्होंने सोनिया गांधी के घर के सामने विरोध भी किया.
इस बीच कांग्रेस कार्यकर्ता जगदीश शर्मा ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस मसले पर आत्ममंथन करने की नसीहत दे डाली है. उन्होंने कहा कि ये सोचने वाली बात है कि पार्टी के बड़े नेता पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं. पार्टी को इस पर विचार करने की जरूरत है. उन्होंने साथ ही कहा कि राहुल गांधी भविष्य के नेता हैं और न जाने वे कौन लोग हैं जो पार्टी की मजबूत स्थिति को बिगाड़ रहे हैं.
वहीं, चुनाव में टिकट न मिलने का अंदाजा तंवर को पहले से ही था. इसलिए उन्होंने कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी के सरकारी निवास दस जनपथ के सामने अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन किया.
तंवर ने इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हरियाणा में एक राजा की चलती है. प्रदेश में कांग्रेस का वजूद खत्म हो गया. वहां कांग्रेस, हुड्डा कांग्रेस बन गई. उन्होंने साफ कर दिया कि पार्टी के लिए प्रचार नहीं करेंगे.
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बता दें, राहुल गांधी ने 5 साल पहले तंवर को हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी. सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद तंवर को हटाकर वहां कुमारी शैलजा को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया और चुनाव प्रबंधन का प्रभाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दिया गया. हुड्डा लंबे समय से नाराज थे, जिसके चलते ये कदम उठाया गया.
वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में शिवसेना से कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए संजय निरुपम ने बगावती स्वर तेज कर दिये हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी की नजदीकी की वजह से उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है और उनकी सलाह के मुताबिक एक भी विधानसभा क्षेत्र में पार्टी ने किसी को टिकट नहीं दिया. निरुपम की नाराजगी इस कदर दिखी कि उन्होंने कांग्रेस के विधायकों के लिए जमानत बचाने की चुनौती तक दे डाली.
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उधर उत्तर प्रदेश की बात करें तो कांग्रेस के गढ़ से विधायक अदिति सिंह ने पार्टी ह्विप का उल्लंघन करते हुए विधानसभा में हिस्सेदारी कर प्रियंका गांधी की पदयात्रा में भाग लेने से इनकार कर दिया. पार्टी ने गांधी जयंती के अवसर पर ह्विप जारी कर निर्देश दिया था कि सभी कार्यकर्ता विधायक प्रियंका गांधी की पदयात्रा में हिस्सेदारी लेंगे और विधानसभा की कार्यवाही में भाग नहीं लेंगे.