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संयुक्त राष्ट्र में दिए गए अहम भाषण, जिन्होंने छोड़ी अलग छाप

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर हम आपको कुछ महत्वपूर्ण भाषणों की जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें आज भी बड़ी शिद्दत से याद किया जाता है. कभी वेनेजुएला के राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज ने इसी मंच से अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को 'शैतान' कहा था. लीबिया के तानाशाह कर्नल गद्दाफी ने यूएन के चार्टर को ही फाड़ डाला था. ऐसी ही कई अन्य रोचक बातों को विस्तार से पढ़ें.

असेंबली में राजनेताओं ने की रोचक बातें
असेंबली में राजनेताओं ने की रोचक बातें

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Published : Oct 25, 2020, 6:06 AM IST

हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई थी. तब से लेकर आज तक यह विश्‍व कल्‍याण और शांति के लिए निरंतर काम कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्य देश शामिल हैं. यह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने का सबसे अच्छा मंच है.

संयुक्त राष्ट्र के अस्तित्व के दौरान कई महत्वपूर्ण भाषण दिए गए, जिसने बाद में अंतरराष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस मंच से कई राजनेताओं के कुछ भाषणों ने इतिहास को बदल दिया. कई वर्षों के बाद भी इन भाषणों की पहचान और ऐतिहासिकता बरकरार है.

असेंबली में राजनेताओं ने की रोचक बातें

संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं के कुछ प्रसिद्ध भाषण ---

'शैतान कल यहां आया था, आज भी यहां सल्फर की खुशबू आ रही है.'

यह बात 2006 में वेनेजुएला के राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज ने अपने भाषण के दौरान कहा था. राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज ने 20 सितंबर 2006 को संयुक्त राष्ट्र में एक भाषण में जॉर्ज बुश को 'शैतान' कहा था.

वे बोले कल यहां 'शैतान' आया था. आज भी सल्फर की महक यहां है. मैं जिसे 'शैतान' कह रहा हूं, वह हैं संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति, जो खुद को इस दुनिया का मालिक समझते हैं.

'फिलॉसफी ऑफ रॉबरी', महासभा में सबसे लंबा भाषण (1960 में क्यूबा के नेता फिदेल कास्त्रो का भाषण)

कास्त्रो के नाम संयुक्त राष्ट्र में सबसे लंबा भाषण देने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है. कास्त्रो ने 29 सितंबर 1960 को संयुक्त राष्ट्र में 4 घंटे 29 मिनट का भाषण दिया था. इतना ही नहीं उन्होंने क्यूबा में 1986 में 7 घंटे 10 मिनट का भाषण दिया था.

उन्होंने कहा कि जब फिलॉसफी ऑफ रॉबरी खत्म होगा, तब युद्ध का फिलॉसफी खत्म हो जाएगी.

'शांति और राइफल', 1974 में फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात का भाषण

फिलिस्तीन के नेता संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा न होकर देश के पहले प्रमुख बने, जिसने महासभा में भाषण दिया. उनके भाषण का मुख्य भाग फिलिस्तीनियों को संप्रभुता का अधिकार देने का आह्वान था.

भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि आज मैं आपके सामने एक हाथ में शांति का परचम और दूसरे हाथ में एक स्वतंत्रता सेनानी का हथियार लेकर आया हूं. अराफात ने कहा कि शांति को मेरे हाथ से निकलने न दो.

नवंबर 1974 में अरब देशों द्वारा प्रायोजित, अराफात ने एक गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्ण सत्र को संबोधित किया.

'यह हमारे प्रमाण हैं', 2003 में अमेरिकी विदेश मंत्री कॉलिन पॉवेल का भाषण

2003 में महासभा की बैठक में अपने भाषण के दौरान तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री कोलिन पावेल ने एक टेस्ट ट्यूब में एंथ्रेक्स होने का दावा किया.

वह अपने भाषण में उपस्थित लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि इराक सामूहिक विनाश के हथियार विकसित कर रहा है. ऐसा इस देश पर आक्रमण की आवश्यकता को समझाने के लिए किया गया था, जो कई महीने बाद शुरू हुआ.

बाद में यह स्पष्ट हो गया कि पॉवेल की रिपोर्ट पूरी तरह से मनगढ़ंत थी. चार्टर में कहा गया है कि सभी देश समान हैं और क्या हम वीटो के अधिकार में भी समान हैं.

2009 में लीबिया के नेता मुअम्मर गद्दाफी का भाषण

2009 में गद्दाफी ने एक घंटे तीस मिनट (निर्धारित 15 मिनट से ज्यादा)के अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र की तीखी आलोचना की. संयुक्त राष्ट्र महासभा को अपने पहले संबोधन में यूएन के ढांचे को पुराना और पक्षपातपूर्ण बताया.

अपने भाषण के दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के पन्नों को फाड़ दिया और सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के अस्तित्व के प्रावधान से असहमति जताई.

गद्दाफी ने यूएन को डराने वाला संगठन और वीटो को आतंकवाद के रूप में वर्णित किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस भाषण के बाद हमें अब सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पालन नहीं करना पड़ेगा, या तो हम एक साथ काम करना जारी रखेंगे, या हम दो शिविरों में विभाजित होंगे.

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