मुंबई : महाराष्ट्र में चुनावी बिगुल बज चुका है. पूर्व की भांति इस बार भी राज्य के प्रमुख सियासी परिवारों की साख दांव पर है. वस्तुतः पवार और ठाकरे समेत कुछ ऐसे परिवार हैं, जिनका सूबे की सियासत में हमेशा से दबदबा रहा है. इन परिवारों ने चुनावी हार-जीत के बावजूद राज्य की सत्ता में अपनी पकड़ बनाए रखी और कभी भी अपना रसूख कम नहीं होने दिया. आइए, एक नजर डालते हैं इन परिवारों पर :
पवार परिवार-
महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे बड़ा नाम शरद पवार. चार बार सीएम रहे पवार राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. यही वजह रही कि सिर्फ 38 साल की उम्र में ही पवार पहली बार मुख्यमंत्री बन गए. इसके अलावा वह केंद्रीय मंत्री भी रहे. कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले पवार ने 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बनाई. पवार की राजनीतिक विरासत उनकी बेटी सुप्रिया सुले संभाल रही हैं. सुप्रिया बारामती से पिछले तीन बार से सांसद हैं और उनके भतीजे अजीत पवार विधायक हैं. अजीत महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. पवार परिवार का मराठवाड़ा, बारामती और ग्रामीण पुणे में अच्छा खासा प्रभाव है.
ठाकरे परिवार-
महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार ही है, जो बिना चुनाव लड़े भी राज्य की सत्ता का रिमोट कंट्रोल अपने हाथों में रखता है. बालासाहेब ठाकरे ने 1966 में शिवसेना की स्थापना की. पहले मुंबई और फिर पूरे महाराष्ट्र में पार्टी का दबदबा बनाया. नतीजा यह है कि बिना चुनाव लड़े भी ठाकरे परिवार का राज्य की सत्ता में दखल रहता है. फिलहाल उनके बेटे उद्धव शिवसेना चीफ हैं. परिवार की 53 साल से चुनाव न लड़ने की परम्परा से अलग उद्धव के बेटे आदित्य इस बार मुंबई की वर्ली सीट से मैदान में हैं. वहीं, पारिवारिक विवाद के चलते शिवसेना से अलग हुए भतीजे राज ठाकरे ने अपनी पार्टी महाराष्ट्र निर्माण सेना (मनसे) बनाई. राज के बेटे अमित भी राजनीति में सक्रिय हैं. ठाकरे परिवार का मुंबई और आसपास के इलाकों में बेहद प्रभाव है.
चह्वाण परिवार-
महाराष्ट्र की सियासत में पिछले 50 सालों से सक्रिय चह्वाण परिवार में पिता-पुत्र दोनों ही मुख्यमंत्री रह चुके हैं. शंकरराव चह्वाण 1975 और 1986 में राज्य के सीएम रहे और केंद्र में वित्त और गृह मंत्रालय भी संभाला. वहीं, उनके बेटे अशोक चह्वाण 2008 से 2010 तक मुख्यमंत्री रहे. अशोक 2014 में नांदेड़ लोकसभा सीट सांसद भी रह चुके हैं. उनकी पत्नी अमिता भी विधायक रह चुकीं हैं. चह्वाण परिवार का नांदेड़ जिले में अच्छा खासा दबदबा है.
देशमुख परिवार-
लातूर में जन्मे विलासराव देशमुख महाराष्ट्र की राजनीति का बड़ा नाम हैं. पंचायत चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले विलासराव देशमुख 1999 और 2004 में दो बार राज्य के सीएम रह चुके हैं. इसके अलावा वह राज्यसभा सदस्य और यूपीए-2 में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं. उनके बेटे अमित और धीरज भी राजनीति में सक्रिय हैं. देशमुख परिवार का लातूर में बहुत प्रभाव है.