नई दिल्ली :भारत ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए जनवरी 2021 से टीकाकरण अभियान शुरू किया है. साथ ही अन्य देशों को बड़ी संख्या में वैक्सीन की खुराक भेजने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. 'वैक्सीन मैत्री' पहल में अब तक भारत 18 देशों को कोविड-19 वैक्सीन की आपूर्ति कर चुका है. जबकि अन्य 25 देश वैक्सीन प्राप्त करने के लिए कतार में हैं.
पूर्व राजदूत विष्णु प्रकाश का मानना है कि भारत की वैक्सीन कूटनीति से पता चलता है कि देश अंतरराष्ट्रीय समुदाय में क्या हैसियत रखता है और इसका दृष्टिकोण क्या है. उन्होंने कहा कि कोरोना टीके की भारी मांग है और ऐसे समय में लाभ के लिए या जमाखोरी के लिए काम नहीं हो रहा. भारत पड़ोसी देशों को, जो इस महामारी का सामना कर रहे हैं, नाममात्र की कीमतों पर टीका उपलब्ध कराना मानवता के लिए एक 'सेवा' है.
उन्होंने कहा कि टीके को पर्याप्त मात्रा में साझा करना, रचनात्मक और सकारात्मक योगदान की तरह है, जो भारत हमेशा से करता रहा है. विश्व की फार्मेसी के रूप में उभरना हमारे लिए गर्व का क्षण है. यह टीका मानवता के लिए है और भारत ने इस पर चर्चा की है.
चीन से नहीं कोई प्रतिद्वंदिता
यह पूछे जाने पर कि क्या एशियाई प्रतिद्वंद्वी चीन को पछाड़ने के लिए भारत का प्रयास है. पूर्व राजदूत प्रकाश ने कहा कि पिछले 30 वर्षों से भारत का ट्रैक रिकॉर्ड क्या रहा है? क्या भारत ने किसी अन्य देश के लिए कार्य करने की प्रतीक्षा की है. क्या जब इंडोनेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका में सुनामी थी तो नौसैनिक जहाजों के पहुंचने से पहले ही भारत पहला उत्तरदाता बना. तो क्या भारत किसी का इंतजार कर रहा था?
प्रकाश ने रेखांकित किया कि 1964 में भारत ने भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITECH) की शुरुआत की. जहां देश अन्य विकासशील देशों को अनुभव, सीखने और प्रौद्योगिकियों को साझा कर रहा है. प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है. उन्होंने सवाल किया कि क्या यह चीन से संबंधित है?
अब तक 55 लाख खुराक भेजी
अफगानिस्तान जैसे युद्धग्रस्त देश को भारत से एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 500,000 खुराकें मिली हैं. भारत ने इससे पहले अफगानिस्तान को 20 मीट्रिक टन दवाइयां भेंट की थीं. उल्लेखनीय रूप से भारत ने भी अफगानिस्तान की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए चाबहार बंदरगाह के माध्यम से 75,000 मीट्रिक टन गेहूं की मानवीय सहायता दी है.