देहरादून : मास्को में रूसी सेना के म्यूजियम में भारतीय हवलदार गजेंद्र सिंह का नाम वीर सैनिकों की सूची में शामिल किया गया है. पिथौरागढ़ जिले के बड़ालु गांव के रहने वाले हवलदार गजेंद्र सिंह को द्वितीय विश्व युद्ध में उनकी बहादुरी के लिए 1944 में सोवियत रूस ने 'ऑर्डर ऑफ द रेड स्टार' से सम्मानित किया था.
गजेंद्र सिंह के अलावा तमिलनाडु के सूबेदार नारायण राव को भी रेड स्टार सम्मान से नवाजा गया था. मॉस्को में भारतीय दूतावास ने मृत सैनिकों के परिवार को पिछले हफ्ते फेलिशिटेशन के बारे में जानकारी दी थी. रूस में भारतीय राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा द्वारा गजेंद्र सिंह के परिवार को भेजे गए एक लेटर में रूसी सशस्त्र बल संग्रहालय में गजेंद्र सिंह का नाम शामिल करने की बात कही थी.
वहीं, हवलदार गजेंद्र सिंह के बेटे भगवान सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि उनके पिता 1936 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में शामिल हुए थे. ट्रेनिंग के बाद उनकी पोस्टिंग रॉयल इंडियन आर्मी सर्विस कॉर्प्स में हुई. भगवान सिंह ने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय उनके पिता ईराक के बसरा में तैनात थे और गठबंधन वाली सेना में उन्हें कठिन इलाकों में राशन, हथियार और गोला-बारूद ले जाने के लिए तैनात किया गया था.
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अपने पिता की यादों को तरोताजा करते हुए भगवान सिंह ने बताया कि 1943 में एक रात जब उनके पिता ड्यूटी पर थे, तब उन पर दुश्मन सैनिकों ने हमला कर दिया था. इस हमले में वह बुरी तरह से घायल हो गए थे, सेना के डॉक्टर्स ने उन्हें भारत वापस जाने की सलाह दी थी, मगर उन्होंने वहीं रहने पर जोर दिया और ठीक होने के बाद वह फिर से अपनी बटालियन में शामिल हो गए और सोवियत सैनिकों को हथियार व रसद आपूर्ति जारी रखी, यही वजह है कि सोवियत सेना ने उन्हें जुलाई 1944 में 'ऑर्डर ऑफ द रेड स्टार' से सम्मानित किया था.