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सीमा तनाव के बीच रूस में चीन के साथ सैन्य अभ्यास करेगा भारत

रूस अगले महीने सैन्य अभ्यास आयोजित करने जा रहा है. यह सैन्य अभ्यास कावकाज में आयोजित हो रहा है. इस सैन्य अभ्यास में भारत-चीन समेत तकरीबन 20 देश हिस्सा लेंगे. यह सैन्य अभ्यास ऐसे वक्त हो रहा है जब भारत चीन के बीच सीमा पर तनाव जारी है. अभ्यास के दौरान सैनिकों को कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरूआ की रिपोर्ट....

सीमा तनाव के बीच भारत चीन अगले महीने सैन्य अभ्यास में लेगें हिस्सा
सीमा तनाव के बीच भारत चीन अगले महीने सैन्य अभ्यास में लेगें हिस्सा

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Published : Aug 26, 2020, 4:02 PM IST

Updated : Aug 26, 2020, 5:08 PM IST

हैदराबाद: भारत अगले महीने रूस में होने वाले बहुपक्षीय वॉर गेम यानी युद्धाभ्यास में अपनी तीनों सेनाओं की एक टुकड़ी को भेजेगा. कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के बाद भारत पहली बार किसी मेगा मिलिट्री ड्रिल में हिस्सा लेने जा रहा है.

कावकाज 2020 स्ट्रैटजिक कमांड पोस्ट एक्सर्साइज में भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान और शंघाई सहयोग संगठन के तरीबन 20 देश हिस्सा लेंगे.

यह मेगा मिलिट्री ड्रिल दक्षिणी रूस के अस्त्राखन इलाके में 15 सितंबर से 27 सितंबर तक चलेगा. भारत-चीन के सैनिक आतंकवाद को रोकने के लिए मिलिट्री ड्रिल में एक साथ अभ्यास करेंगे.

यह सैन्य अभ्यास ऐसे वक्त में हो रहा है, जब पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच गतिरोध जारी है. इसके मद्देनजर दोनों देशों ने सीमा रेखा पर तरीबन 100,000 सैनिक तैयार किए हैं. इतना ही नहीं दोनों देशों ने सीमा रेखा पर मिसाइलें तथा अन्य सुरक्षा उपरकण भी तैनात किए हैं.

बता दें कि 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. इस झड़प में चीन के तरीबन 43 सैनिक हताहत हुए थे. हालांकि चीन ने इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं की है.

भारत और चीन दोनों ने कावकाज 2020 (Kavkaz 2020) में भाग लेने की इच्छा जताई है. यह इस बात की संकेत देता है कि दोनों देश रूस के करीबी हैं. दोनों देशों का एक साथ भाग लेना रूस की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाएगा, क्योंकि हाल में ही भारत और चीन ने सीमा विवाद को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की मध्यस्ता की पेशकश को ठुकरा दिया था.

पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए भारत-चीन के बीच बैठकों का दौर चल रहा है, लेकिन अब तक सीमा पर तनाव कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच लंबे समय तक तनाव चल सकता है.

16 सितंबर से शुरू होने वाले यह अभ्यास त्सेंट्र के करीबी होगा. बता दें कि त्सेंट्र एक सैन्य अभ्यास था, जो 2019 में आयोजित किया गया था. इसमें भारत, चीन और पाकिस्तान समेत कई देशों ने हिस्सा लिया था.

इस सैन्य अभ्यास में भारत के डोगरा रेजिमेंट से अधिक सैनिक भाग लेंगे. भारत की तरफ से तकरीबन 180 सैनिक भाग लेंगे, जिसमें वायुसेना, नौसेना और सेना के सैनिक शामिल होंगे.

2018 और 2019 की तरह, चीन अभ्यास के लिए सैनिकों की बड़ी टुकड़ी भेज सकता है, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कम सैनिक अभ्यास में हिस्सा लेंगे.

कोराना संकट के चलते इस वर्ष केवल 13,000 सैनिक इस अभ्यास में भाग लेंगे. वहीं 2019 के युद्धाभ्यास में लगभग 128,000 सैनिकों, 20,000 सैन्य टुकड़ियों, 600 विमानों और 15 जहाजों को शामिल किया गया था.

रूस हर चार साल में चार सैन्य अभ्यास आयोजित करता है. इन अभ्यास को रोटेशन के आधार पर करता है. इन सैन्य अभ्यासों को रूस वोस्तोक, जैपद, त्सेंट्र और कावकाज में आयोजित करता है. इससे पहले 2012 और 2016 में कावकाज में सैन्य अभ्यास किए गए थे.

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इससे पहले जून में रूस की राजधानी मॉस्को के ऐतिहासिक रेड स्क्वॉयर में हुई विक्री डे परेड में भी भारत की तीनों सेनाओं के एक संयुक्त दल ने हिस्सा लिया था.

द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी के ऊपर रूस की जीत की 75वीं वर्षगांठ पर हुए कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हिस्सा लिया था. भारत और चीन दोनों ही शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य हैं. भारत 2017 में इसका सदस्य बना था.

Last Updated : Aug 26, 2020, 5:08 PM IST

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