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जम्मू-कश्मीर : भारतीय सेना ने दी 1947 युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि - Indian Army pays tribute to martyrs of 1947

भारतीय सेना ने मंगलवार को 1947 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और उनके बलिदान को याद किया. 27 अक्टूबर, 1947 में भारतीय बलों ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के कबायली लड़कों का डट कर सामने किया था और श्रीनगर पर कब्जा करने के पाकिस्तान के मंसूबे पर पानी फेर दिया था.

martyrs of 1947 war
1947 युद्ध

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Published : Oct 27, 2020, 9:08 PM IST

बारामूला : जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए अक्टूबर सबसे दुर्भाग्यपूर्ण महीना है. राज्य के इतिहास में इससे ज्यादा विनाशकारी महीना कोई नहीं है.

22 अक्टूबर को पूरे देश में काला दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत की आजादी के बाद 1947 में इसी दिन पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर पर कब्जे के इरादे से कबायली लड़ाकों की मदद से हमला किया था. इन कबायली लड़ाकों ने बड़े पैमाने पर जुल्म, बर्बरता और हैवानियत की थी, जिसे अब भी लोग नहीं भूले हैं.

इसके बाद 27 अक्टूबर, 1947 को भारतीय बलों ने कश्मीर में प्रवेश किया और कबायली लड़ाकों व पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया. साथ ही श्रीनगर पर कब्जा करने का पाकिस्तान का सपना चकनाचूर कर दिया. अगर 27 अक्टूबर को भारतीय सेना ने राज्य में प्रवेश नहीं किया होता, तो पाकिस्तानी आक्रमणकारी श्रीनगर पर कब्जा कर सकते थे.

इस दिन की याद में 27 अक्टूबर को कश्मीर घाटी में कई स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसके मद्देनजर आज बारामूला जिले में एक महत्वपूर्ण समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें देश और जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए 27 अक्टूबर, 1947 में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी सैनिकों को याद किया गया.

1947 के युद्ध में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए समारोह में सेना और नागरिक प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद रहे.

समारोह के अंत में, सेना की 19 इन्फेंट्री के जीओसी विरेंदर वत्स ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज के दिन हम सिख रेजिमेंट के उन सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के कबायली लड़ाकों को डट कर मुकाबला किया और उन्हें कश्मीर से भगाया.

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ईटीवी भारत से बात करते हुए एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि पाकिस्तान से आए कबायलियों ने लूटपाट और हैवानियत का जो खेल खेला था, उसे हम कभी नहीं भूलेंगे. हम आज कबायलियों का मुकाबला करने वाले उन शहीदों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.

गौरतलब है कि, सेना और लोगों के बलिदान के परिणामस्वरूप, आज कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में देश से जुड़ा हुआ है.

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