नई दिल्ली: भारत में छह लाख से अधिक बिना नियमन वाले मानवरहित हवाई वाहन (UAV) हैं. इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियां आधुनिक ड्रोन भेदी हथियारों जैसे 'स्काई फेंस' और 'ड्रोन गन' आदि पर काम कर रही हैं. इनका मकसद हवाई प्लेटफॉर्म से किए जाने वाले आतंकवादी या इस तरह की विध्वंसक गतिविधियों का निपटारा करना है. आधिकारिक सूत्रों ने आज यह जानकारी दी.
केंद्रीय एजेंसियों ने इस बारे में एक आधिकारिक रूपरेखा तैयार की है. इसमें बताया गया है कि बिना नियमन वाले ड्रोन, यूएवी और सुदूर संचालित विमान प्रणाली महत्वपूर्ण ठिकानों, संवेदनशील स्थानों और विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए 'संभावित खतरा' हैं और उनसे निपटने के लिए 'उचित समाधान' की जरूरत है.
छह लाख से अधिक ड्रोन देश में मौजूद
इन एजेंसियों द्वारा डाटा आकलन अध्ययन में कहा गया है कि छह लाख से अधिक विभिन्न आकार और क्षमताओं के बिना नियमन वाले ड्रोन वर्तमान में देश में मौजूद हैं और विध्वंसकारी ताकतें अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देने के लिए उनमें से किसी का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.
सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां सतर्क
सऊदी अरब की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी पर हाल में ड्रोन से किया गया हमला और पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पार से यूएवी के माध्यम से हथियार गिराए जाने से सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई हैं.
ड्रोन भेदी तकनीक पर एजेंसियों की कड़ी नजर
ये एजेंसियां कुछ ड्रोन भेदी तकनीक पर गौर कर रही हैं, जिसमें स्काई फेंस, ड्रोन गन, एटीएचईएनए, ड्रोन कैचर और स्काईवाल 100 शामिल है, ताकि संदिग्ध घातक रिमोट संचालित प्लेटफॉर्म को पकड़कर निष्क्रिय किया जा सके.