हैदराबाद : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 फरवरी को भारत आ रहे हैं. वे लगभग दो दिनों तक भारत में रहेंगे. उनके स्वागत के लिए 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम अहमदाबाद में होगा. ट्रंप से पहले भी अमेरिका से छह राष्ट्रपति भारत का दौरा कर चुके हैं.
अब हम यह जानने की कोशिश करते है कि ट्रंप से पहले जो राष्ट्रध्यक्ष भारत दौरे पर आए थे उस दौरान दोनों देशों के बीच क्या-क्या समझौते हुए और संबंधों को लेकर कितनी प्रगति हुई.
राष्ट्रपति आइजनहावर (1959)
9 दिसंबर, 1959 को पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आए थे. राष्ट्रपति आइजनहावर ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात की थी. उन्होंने संसद को भी संबोधित किया था. मुलाकात के दौरान नेहरू ने प्रस्ताव रखा था कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने के लिए समझौता होता है, तो भरत को पाकिस्तान और अमेरिका के बीच हो रहे हथियारों के सौदे को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं होगी. इसके बाद
अमेरिका ने पाक में अपने दूत को इस पर चर्चा करने के लिए कहा. हालांकि, इस मुद्दे पर अपेक्षित सफलता नहीं मिली.
राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन (1964)
अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच अच्छे संबंध नहीं थे. निक्सन एक दिन से भी कम भारत में रुके थे. माना जाता है कि निक्सन का भारत दौरा उनके और इंदिरा गांधी के बीच तनाव को कम करने के लिए था. हालांकि, जब 1971 के युद्ध में निक्सन ने पाकिस्तान का साथ दिया, तो दोनों देशों के बीच बातचीत के सभी रास्ते बंद हो गए. इस दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था. बांग्लादेश का जन्म इसी समय हुआ था. भारत ने बांग्लादेश का साथ दिया. निक्सन चीन और पाक के साथ खड़े रहे. निक्सन चीन से अपना संबंध बेहतर करना चाहते थे. उस समय भारत का झुकाव सोवियत संघ की ओर अधिक था. हालांकि, नीतिगत तौर पर भारत गुट निरपेक्ष संगठन का सबसे अहम सदस्य था.
राष्ट्रपति जिमी कार्टर (1978)
जनवरी 1, 1978 को राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत के तीन दिवसीय दौरे पर भारत आए. इस दौरान उन्होंने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से मुलाकात की. उन्होंने संसद को संबोधित भी किया. इसके बाद जून महीने में देसाई अमेरिका के छह दिवसीय दौरे पर गए थे. इस दौरान भारत और अमेरिका ने दिल्ली डेक्लेरेशन नाम के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते में लोकतंत्र और आर्थिक विकास के लिए समर्थन का वादा किया गया. मोरारजी का झुकाव अमेरिका की ओर अधिक था, जबकि इंदिरा के समय में भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते बहुत अधिक अच्छे नहीं थे.
मार्च 10, 1978
कार्टर प्रशासन ने परमाणु अप्रसार अधिनियम (Nuclear Nonproliferation Act) को लागू किया. इसके तहत जो देश अप्रसार संधि का हिस्सा नहीं था, जैसे कि भारत, उनको अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी द्वारा उनके सभी परमाणु केंद्रों के निरीक्षण की अनुमति देनी होती थी. पर, भारत ने इसकी अनुमति नहीं दी. इसके बाद अमेरिका ने भारत को मिल रही परमाणु मदद रोकने का आदेश दे दिया था.
राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (2000)
1978 के बाद मार्च 20, 2000 को अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत आए. 1998 में भारत ने परमाणु परीक्षण किया था. इसके बाद अमेरिका समेत कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे. इस पृष्ठभूमि में क्लिंटन भारत आए थे. क्लिंटन प्रशासन ने भारत पर व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया, लेकिन वे सफल नहीं हुए. इसी दौरान भारत-अमेरिका विज्ञान और प्रौद्योगिकी फोरम की स्थापना हुई. क्लिंटन का भारत दौरा दर्शाता है कि पाकिस्तान से अमेरिका की दूरियां कम होती जा रही थीं. अमेरिका भारत को बहुत बड़ा बाजार के रूप में देखने लगा था.