नई दिल्ली : भारत ने उम्मीद जताई थी कि वह भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव को अनौपचारिक बातचीत के माध्यम से रिहा करने के लिए पाकिस्तान को मना लेगा, जिन्हें 2017 में 'जासूसी और आतंकवाद' के आरोपों में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. यह बात वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कही है.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में जाधव मामले में साल्वे भारत की तरफ से प्रमुख वकील थे. आईसीजे ने पिछले वर्ष फैसला दिया था कि पाकिस्तान को नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी की मौत की सजा की समीक्षा करनी चाहिए.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद ने शनिवार को ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया, जिसमें लंदन से साल्वे ने कहा कि भारतीय पक्ष पूछता रहा है कि पाकिस्तान आईसीजे के फैसले को कैसे क्रियान्वित करेगा और कैसे प्रभावी समीक्षा तथा पुनर्विचार करेगा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है.
मामले की वर्तमान स्थिति के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद थी कि अनौपचारिक बातचीत के माध्यम से हम पाकिस्तान को उन्हें छोड़ने के लिए मना लेंगे. अगर वह मानवीय आधार या कुछ और बताते हैं तो हम उन्हें वापस चाहते हैं. हमने कहा कि उन्हें छोड़ दो, लेकिन यह पाकिस्तान में अहंकार का मुद्दा बन गया है. इसलिए हमें उम्मीद थी कि वह उन्हें छोड़ देंगे, लेकिन उन्होंने नहीं छोड़ा है.
उन्होंने कहा, 'हमने चार-पांच पत्र लिखे हैं. वह मना करते रहे. मेरा मानना है कि हम वहां पहुंच गए हैं, जहां हमें निर्णय करना होगा कि क्या हम फिर आईसीजे का दरवाजा खटखटाएं, क्योंकि पाकिस्तान इस पर आगे नहीं बढ़ रहा है.'
साल्वे ने कहा कि आईसीजे के आदेश के बाद पाकिस्तान ने राजनयिक पहुंच की मंजूरी दी थी, लेकिन बाद में इसमें काफी विलंब हो गया और ‘‘हम पाकिस्तान से लड़ रहे हैं कि वह एक व्यवस्था बनाएं.'
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान ने सबसे पहले दुनिया से कहा कि मामले में उसकी जीत हो गई है और अब वह कह रहे हैं कि आपको पाकिस्तान की अदालत में कार्यवाही के लिए मुकदमा दायर करना होगा या पाकिस्तानी कार्यवाही को स्वीकार करना होगा.'
साल्वे ने कहा, 'हम कहते रहे कि आप आईसीजे के फैसले पर किस तरह से आगे बढ़ रहे हैं और किस तरह से प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार कर रहे हैं. उन्होंने सवाल के जवाब नहीं दिए. मेरा मानना है कि भारत सरकार उन्हें पत्र लिखती रही है और कौन जानता है कि चीजें किस दिशा में जा रही हैं, हमें वापस आईसीजे का दरवाजा खटखटाना होगा, जाधव के लिए न्याय हासिल करने का प्रयास करना होगा.'