नई दिल्ली : कोरोना संकट के बीच भारत ने 55 देशों को वाणिज्यिक आधार पर और मदद के रूप में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की आपूर्ति करने का फैसला किया है.
इनमें वैसे 21 देश भी शामिल हैं, जिन्हें पहले भी दवा निर्यात की जा चुकी है. कुछ वैसे भी देश हैं, जिन्हें भारत ने मानवीय आधार पर मदद की थी. कुछ प्रमुख देशों के नाम हैं - अमेरिका, ब्राजील, अफगानिस्तान, जर्मनी और नेपाल. इन सभी देशों को दूसरी खेप भेजी जाएगी.
विदेश मंत्रालय ने तीसरी सूची भी तैयार की है. इसमें यूएई जैसे देश शामिल हैं. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है. कोरोना संकट के बीच भारत सरकार अन्य देशों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के प्रयासों में सबसे आगे रही है. कोरोना के खिलाफ लड़ाई में विदेशों से महत्वपूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करती है.
सरकार की ओर से बताया गया कि यह एक सतत जारी प्रक्रिया के तहत चालू है. किसी अन्य देशों से जब अनुरोध आता है, तो इसे फिर से संबंधित समिति के पास रखा जाएगा. हालांकि, विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने पाकिस्तान को लेकर कुछ नहीं कहा. यह नहीं बताया गया है कि पाकिस्तान ने इस दवा के लिए भारत से अनुरोध किया है या नहीं.
भारतीय दूतावासों और मिशनों के माध्यम से विदेश मंत्रालय भी आपूर्तिकर्ताओं की पहचान कर रहा है, कोटेशन प्राप्त कर रहा है, समय पर चिकित्सा वितरण सुनिश्चित करने के लिए आपूर्तिकर्ताओं, समाशोधन एजेंटों, एयरलाइंस के साथ जमीन पर निकट समन्वय कर रहा है. बीजिंग में भारतीय दूतावास और चीन से एक बड़ी खेप किट आ चुका है. इसमें 6.5 लाख परीक्षण किट शामिल हैं,
दोषपूर्ण चीनी परीक्षण किट की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सरकार ने बताया कि निर्यात मानकों को पूरा करने वाली कंपनियों से ही आयात किए जाते हैं.
दक्षिण कोरिया से परीक्षण किटों की आपूर्ति के लिए विदेश मंत्रालय सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है. यूके, मलेशिया, फ्रांस, कनाडा और यूएस की कंपनियों से फर्म कोटेशन प्राप्त किए गए हैं. सूत्रों ने बताया कि भारत ने जर्मनी और जापान की कंपनियों से भी लीड हासिल की है. एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि पीपीई की बड़ी खेप के जल्द ही भारत पहुंचने की उम्मीद है.