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हैमर मिसाइल से लैस होगा राफेल, चीन के पास भी नहीं है यह क्षमता

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Published : Jul 23, 2020, 4:22 PM IST

Updated : Jul 23, 2020, 4:58 PM IST

29 जुलाई को राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंच जाएगा. पहली खेप में पांच विमानों की आपूर्ति की जा रही है. भारतीय रणनीतिक स्थिति के मद्देनजर इसमें कई परिवर्तन किए गए हैं. भारतीय वायुसेना इसे और अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए हैमर मिसाइल से लैस करेगी. इसे हासिल करने पर भारत को चीन और पाकिस्तान, दोनों ही वायु सेनाओं के ऊपर एडवांटेज हासिल हो जाएगा. राफेल में मेटॉयर और स्काल्प जैसे खतरनाक मिसाइल पहले से ही लैस हैं. यह एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड दोनों ही स्थिति में हमला करने की क्षमता रखता है.

राफेल विमान
राफेल विमान

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत- चीन तनाव के बीच भारत को जल्द ही राफेल लड़ाकू विमान की पहली खेप मिलने वाली है. भारतीय वायुसेना इसे और अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए हैमर मिसाइल से लैस करेगी. इसकी खासियत है कि यह 60-70 किमी के दायरे में दुश्मन के सारे निशाने को ध्वस्त कर सकता है. कितना भी सुरक्षित बंकर क्यों न हो, उसे तबाह करने की यह क्षमता रखता है. इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

हैमर मिसाइल एक मध्यम दूरी मार करने वाली मिसाइल है. हैमर मिसाइल के राफेल में लैस हो जाने के बाद दुश्मन के बंकरों को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है, चाहे वह बंकर कितने ही मजबूत क्यों न हों. इसका इस्तेमाल पहाड़ी इलाकों जैसे पूर्वी लद्दाख में आसानी से किया जा सकता है.

हैमर मिसाइल के ऑर्डर को लेकर फ्रांस की कंपनी ने भी मंजूरी दे दी है. फ्रांस की कंपनी राफेल विमान में हैमर मिसाइल को लगाने की तैयारी में लग चुकी है. भारतीय सेना को वह जल्द ही हैमर मिसाइल उपलब्ध करवाएगी.

फ्रांस ने भरोसा दिया है कि वह इमरजेंसी जैसी स्थिति में शॉर्ट नोटिस पर मिसाइल उपलब्ध करवाएगा. फ्रांस की वायु सेना और नौसेना के पास ये मिसाइल उपलब्ध है.

जानकारी के मुताबिक फ्रांस ने दूसरे देशों के लिए हैमर मिसाइल अपने पास रखा है. लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे भारत को दे देगा.

वायुसेना इस प्रक्रिया को इमरजेंसी पावर फॉर एक्विजीशन गिवेन के तहत कर रही है. इस आदेश के अनुसार रक्षा मंत्रालय के डीएसी विभाग द्वारा भारतीय सेना को यह अधिकार दिया गया है कि अपातकालीन हालात में 300 करोड़ तक के फंड का इस्तेमाल हथियार खरीदने के लिए किया जा सकता है.

29 जुलाई को भारत को पांच राफेल विमानों की पहली खेप मिल जाएगी. यह लड़ाकू विमान 29 जुलाई को अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर पहुंचेंगे. ये राफेल विमान अनेक मिसाइलों से लैस होंगे. राफेल विमान 17 गोल्डन एरो कमांडिंग ऑफिसर के पायलट द्वारा उड़ाए जाएंगे. इन विमानों को 20 अगस्त को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा.

राफेल विमानों की खेप मई में आने वाली थी, लेकिन कोरोना स्थिति के मद्देनजर भारत और फ्रांस ने इसकी डिलिवरी को दो महीने स्थगित कर दिया.

भारत ने भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 36 राफेल विमानों खरीद पर 2016 में फ्रांस के साथ 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक समझौते पर हस्ताक्षर किया था.

यह समझौता एयर चीफ मार्शल भदौरिया उस समय एयर स्टाफ के उप प्रमुख थे, जिन्होंने इस समझौते का नेतृत्व किया था. भारत की दृष्टि से यह सबसे बड़ा रक्षा समझौता था.

हवा में मार करने वाली मिसाइलें मेटॉयर और स्काल्प से लैस, राफेल भारत को पाकिस्तान और चीन दोनों को हवाई हमले की क्षमता के मामले में बढ़त दिलाएगा.

सूत्रों ने कहा कि राफेल की हवा से हवा और जमीन पर मार करने की क्षमताएं चीन और पाकिस्तान के राफेल विमानों से मेल नहीं खाती हैं, जो भारत को दोनों प्रतिद्वंद्वियों से बढ़त दिलाएगा

Last Updated : Jul 23, 2020, 4:58 PM IST

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