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UNHRC में भारत ने पाक को फटकारा, J-K आंतरिक मामला, विदेशी हस्तक्षेप की नहीं जरूरत

भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) में पाक को दो टूक जवाब दिया है. भारत के सचिव विजय ठाकुर सिंह ने पाक के आरोपों का विस्तृत जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है. जानें पूरा विवरण

UNHRC में भारत के सचिव विजय ठाकुर सिंह

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Published : Sep 10, 2019, 8:25 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 4:09 AM IST

जिनेवा: विदेश मंत्रालय की सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर UNHRC में भारत का पक्ष रखा. भारत ने पाकिस्तान को यह कहकर फटकार लगाई कि उसने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में जम्मू-कश्मीर के बारे में गलत और मनगढ़ंत कहानी पेश की है. इस दौरान भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे पर कोई विदेशी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि यह उसका आंतरिक मामला है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा यूएनएचआरसी के मंच से संबोधित करने के कुछ घंटों बाद ही एक शीर्ष भारतीय राजनयिक ने अपना संबोधन दिया. इस दौरान भारतीय राजनयिक ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 'पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है और वह वैकल्पिक कूटनीति के तौर पर सीमा पार आतंकवाद का संचालन करता है.'

विदेश मंत्रालय की सचिव (ईस्ट) विजय ठाकुर सिंह ने कहा कि भारत मानवधिकारों को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने में दृढ़ता से विश्वास करता है.

सिंह ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा, 'जो लोग क्षेत्र में किसी भी रूप में आतंकवाद को बढ़ावा देने व वित्तीय तौर पर इसका समर्थन करते हैं, वास्तव में वही मानव अधिकारों के सबसे बड़े हननकर्ता हैं.'

UNHRC में बोलतीं विजय ठाकुर सिंह

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पीड़ित बनने का रोना रो रहा है, जबकि वास्तव में वह खुद मानवाधिकारों के हनन का अपराधी है.

सिंह ने कहा, 'हमें उन लोगों पर लगाम कसनी चाहिए, जो मानवाधिकारों की आड़ में दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडों के लिए इस मंच का दुरुपयोग कर रहे हैं. ये लोग दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों पर बोलने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि वे अपने ही देश में उन्हें रौंद रहे हैं. वे पीड़ित की तरह रो रहे हैं, जबकि वास्तव में वे अपराधी हैं.'

जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने को लेकर उन्होंने कहा कि भारत द्वारा अपने संवैधानिक ढांचे के अनुरूप ही यह फैसला लिया गया है.

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राजनयिक ने कहा कि यह फैसला संसद द्वारा पारित अन्य विधानों की तरह ही भारतीय संसद द्वारा एक पूर्ण बहस के बाद लिया गया. उन्होंने बताया कि इसे व्यापक तौर पर समर्थन भी मिला. उन्होंने इस फैसले को पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला बताया और कहा कि कोई भी देश अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप स्वीकार नहीं कर सकता.

सिंह ने कहा कि इस फैसले से संपत्ति पर अधिकार और स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व समेत लैंगिक भेदभाव का अंत होगा, बाल अधिकारों का बेहतर संरक्षण होगा. साथ ही घरेलू हिंसा के खिलाफ संरक्षण मिलेगा. शिक्षा, सूचना और काम का अधिकार कानून लागू होगा और शरणार्थियों और वंचितों के खिलाफ भेदभाव समाप्त होगा.

जम्मू और कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों पर उन्होंने कहा, 'सीमा पार आतंकवाद के विश्वसनीय खतरों का सामना करने में हमारे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अस्थायी निवारक और एहतियाती उपायों की जरूरत थी.'

असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पर भी भारत ने जवाब दिया. विजय ठाकुर ने कहा कि असम में एनआरसी एक वैधानिक, पारदर्शी, बिना भेदभाव के कानूनी प्रक्रिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी निगरानी है.

Last Updated : Sep 30, 2019, 4:09 AM IST

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